बेटियां
प्यार का मीठा एहसास हैं बेटियां, अपने आंगन की विश्वास हैं बेटियां। वक्त भी थामकर जिनका दामन चले, ढलते जीवन की हर सांस हैं बेटियां। उनके पलकों के आंचल में
प्यार का मीठा एहसास हैं बेटियां, अपने आंगन की विश्वास हैं बेटियां। वक्त भी थामकर जिनका दामन चले, ढलते जीवन की हर सांस हैं बेटियां। उनके पलकों के आंचल में
प्रेमियों का हश्र हज़ारों छुपा राज बतलाता है जिस्म का रिश्ता हुआ शुरू कि प्यार खतम हो जाता है । राधा – कृष्ण,श्याम – मीरा का पाक रिश्ता
मुझे अच्छी लगती है तुम्हारी “हूं एक “हूं” में समाई है आश्वस्ति भासमान तुम्हारी उपस्थिति की तुम्हारी स्वीकारोक्ति की और छंट जाते हैं काले बादल नि:शंक निर्बाध हो
केतनो खेलइ ब गोदी में बना के ओके बबुआ दूनों हाथे ऊपर नीचे झुलइ ब केतनो झुलुआ भले खियइ ब हीक भर पूआ चाहे ठेकुआ तब्बो कामे ना आई ऊ
अब समय आ गया कि गढ़े हम कुछ नए मुहावरे बेटियां पराई नहीं सगी से कुछ ज्यादा हैं जिनपर विश्वास है हमें हमारे संस्कारों और मूल्यों के वहन का
समय चक्र रेखांकित करती हैं, दिनकर की रचनाएं विविधा , क्रांति -बीर रस में
अब समय आ गया कि गढ़े हम कुछ नए मुहावरे बेटियां पराई नहीं सगी से कुछ ज्यादा हैं जिनपर विश्वास है हमें हमारे संस्कारों और मूल्यों के वहन का
उत्तर से आने लगी, अब बर्फीली वायु सुबह टहलनेसे बचें , जिनकी ज्यादा आयु | जिनकी ज्यादा आयु,रक्त तन में जम जाता वैद्य जनों अनुसार ,हृदयाघात है आता।
बोल नहीं सकता सत्य तो वह गूँगा है। ऊँची आवाज लगाने से क्या ? सुन नहीं सकता सच तो वह बहरा है। कान लगाकर सुनने से क्या ?
अब्दुल कलाम स्वीकारो सलाम तुम शान हो इस वसुंधरा के मनुज रूप में भगवान हो तुम हो रत्न महान भारत माँ के १५ अक्टूबर धरा अवतरण तामिलनाडु प्रांत
अब्दुल कलाम स्वीकारो सलाम तुम शान हो इस वसुंधरा के मनुज रूप में भगवान हो तुम हो रत्न महान भारत माँ के १५ अक्टूबर धरा अवतरण तामिलनाडु प्रांत