कैसे बने धनपत राय श्रीवास्तव “मुंशी प्रेमचंद”
धनपत राय श्रीवास्तव, जिन्हें दुनिया मुंशी प्रेमचंद के नाम से जानती है, हिंदी और उर्दू साहित्य के सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय लेखकों में से एक थे। उनके जीवन की कहानी
धनपत राय श्रीवास्तव, जिन्हें दुनिया मुंशी प्रेमचंद के नाम से जानती है, हिंदी और उर्दू साहित्य के सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय लेखकों में से एक थे। उनके जीवन की कहानी
आज कूका विद्रोह में राष्ट्र और धर्म को बचते हुए सदा सदा के लिए अमर हुए सभी वीर बलिदानी सरदारों को बारम्बार नमन और वंदन है वो युद्ध थी जिसको
देश के स्वतंत्रता आन्दोलन गाथा में देवरिया का नाम भी स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है |पूरे देश में यही नारा दिया जाता था कि- “जो भरा नही है भावों से
आधुनिक भारत के चिन्तक तथा आर्य समाज के संस्थापक स्थायी महर्षि दयानन्द सरस्वती का जन्म गुजरात के काठियाबाड जिले में टंकारा गाँव में 12 फरवरी 18245में एक कुलीन व् समृद्ध
भिखारी ठाकुर, एक ऐसा व्यक्ति जो गांव के सामान्य परिवार में जन्म लिया।नौ साल की उम्र में स्कूल पढ़ने गया। एक साल बाद भी अक्षर ज्ञान हासिल नहीं कर सका।
बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर सन् 1875 में एक छोटे तथा गरीब किसान परिवार में हुआ था। जल,जंगल,जमीन तथा अपने कुटुम्ब व मुंडारी पहचान की रक्षा करने हेतु युवा
कुछ तो महल अटारी का ख्वाब लेकर सोते हैं, लेकिन कुछ तो अपने लिए झोपड़ी तक न बनाके भीख मांग कर के समाज में रह रहे शोषितों,वंचितों और पिछड़ों के
रैदास नाम से सुविख्यात संत रविदास का जन्म सन 1388 को बनारस में हुआ था । जब की कुछ विद्वान सन 1398 भी बताते हैं। माघ पूर्णिमा दिन रविवार को
युगों- युगों की परंपरा रही है कि अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए कोई न कोई इस धरती पर पीड़ितों का फरिश्ता बन कर कोई न कोई हमारे बीच
शाहूजी महाराज मराठा सम्राट और छत्रपति संभाजी महाराज के बेटे थे |इनका जन्म 26 जून सन 1874 को मांगो, सतारा,महाराष्ट्र में हुआ था । राज्याभिषेक 12 जनवरी 1908 सतारा में
शाहूजी महाराज मराठा सम्राट और छत्रपति संभाजी महाराज के बेटे थे |इनका जन्म 26 जून सन 1874 को मांगो, सतारा,महाराष्ट्र में हुआ था । राज्याभिषेक 12 जनवरी 1908 सतारा में