कजरी
नयनवा जोहे ए हरी
सोरहो सिंगार से खुद के सजा के
बेला चमेली के सेजिया लगा के
अरे रामा रोवेला पोरे पोर,
नयनवा जोहे ए हरी.
पूड़ी बखीर पकवान बना के,
पानी आ पीढ़ा परोसा लगा के
अरे रामा खवइया कवनी ओर
नयनवा जोहे ए हरी
हियरा में उनकर सूरत बसा के
मनवा में सुन्दर सपना सजा के
अरे रामा करके करेजवा मोर
नयनवा जोहे ए हरी
रात अंजोरिया भा दिन दुपहरिया
लउके ला हमके हरदम अंहरिया
अरे रामा कबले होई अंजोर
नयनवा जोहे ए हरी
डाॅ0 भोला प्रसाद आग्नेय
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