संविधान
ऐसा संविधान भारत का दुनियां करती है गुणगान मानवता हो पूज्य धरा पर राष्ट्र धर्म हो ऊपर जाति- पांति का भेद नहीं पर सेवा सबसे बढ़कर समाज का हर प्राणी
ऐसा संविधान भारत का दुनियां करती है गुणगान मानवता हो पूज्य धरा पर राष्ट्र धर्म हो ऊपर जाति- पांति का भेद नहीं पर सेवा सबसे बढ़कर समाज का हर प्राणी
कुछ तो महल अटारी का ख्वाब लेकर सोते हैं, लेकिन कुछ तो अपने लिए झोपड़ी तक न बनाके भीख मांग कर के समाज में रह रहे शोषितों,वंचितों और पिछड़ों के
रैदास नाम से सुविख्यात संत रविदास का जन्म सन 1388 को बनारस में हुआ था । जब की कुछ विद्वान सन 1398 भी बताते हैं। माघ पूर्णिमा दिन रविवार को
उत्कल के उगते सूरज का, बंगाल में किरणें आई किलकारी गूंजी आंगन में, परिवार
नया वर्ष हो मंगलमय आप सबका मधुमय पवन में चमन झूमता है यशगान का परचम लहरे हमेशा आज पाताल धरती गगन झूमता है खुशियों से पूरा चमन झूमता है सुरभित
युगों- युगों की परंपरा रही है कि अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए कोई न कोई इस धरती पर पीड़ितों का फरिश्ता बन कर कोई न कोई हमारे बीच
गेंदा, गुलाब, जूही, चंपा- चमेली परिजात, रातरानी, रजनी – सुबेली बनाकर माला महामानव को पहिनाएं, श्रद्धा सुमन हम चढ़ाएं अपमान का जहर पीके, अमृत दिया हमको जीवन में बदलाव स्वाभिमान
शहर में मिलइ नाहीं शुद्ध हवा पानी चल करी गउआं में खेती किसानी चूना गारा काम कइले पड़ि जालें छाला दवाई होये ना पावइ घर में रहइ ठाला समझइं बगल
सच कहता हूं देश शर्मसार होता है महक फूलों में नहीं,भ्रमर आज रोता है बापू , माली नहीं बाग जो संवार सके हर इंसान केवल फर्ज अपना ढोता है लेकर
हिंदी प्रतिबिंब आज शीष्टता सजीवता की, भाषाओं की ताज दीप्तिमान आज हिंदी है खेत खलिहान, सीमा
हिंदी प्रतिबिंब आज शीष्टता सजीवता की, भाषाओं की ताज दीप्तिमान आज हिंदी है खेत खलिहान, सीमा