
श्रीकृष्ण
भगवान श्रीकृष्ण के नाम का अर्थ आकर्षण है इसलिए कर्षति परमहंसानाम इति कृष्णः कहा गया है। इसलिए सारी सृष्टि ही कृष्ण की ओर आकर्षित होती है। सृष्टि के सभी रूप
भगवान श्रीकृष्ण के नाम का अर्थ आकर्षण है इसलिए कर्षति परमहंसानाम इति कृष्णः कहा गया है। इसलिए सारी सृष्टि ही कृष्ण की ओर आकर्षित होती है। सृष्टि के सभी रूप
धम्मदिन्ना का जन्म राजगीर (राजगृह) के वैश्य कुल में हुआ था। वह सुंदर,सुशील एवं बुद्धिमान बालिका थी। जब बड़ी हुई उसका विवाह विशाख नाम के श्रेष्ठी के साथ हुआ। पति-पत्नी
अपने जीवन में हम जो देते हैं वही मिलता है, जैसी जीवन के गीत हम गाते हैं वही चारों तरफ हमें वही गीत की बरसात होती है। हम जीवन में
शील, समाधि, प्रज्ञा; शील, समाधि, प्रज्ञा- इन तीनों में धर्म की परिपूर्णता समायी हुई है। (साधक) शील का पालन करते हुए, समाधि में पुष्ट होते हुए प्रज्ञा जगाने का काम
बौद्ध धर्मावलम्बियों के लिए बुद्ध पूर्णिमा सबसे महत्वपूर्ण है |बैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का प्राकट्य हुआ था |इसलिए इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना
कुशीनगर – त्रिविध पावनी ” बैशाख पूर्णिमा के दिन तीन घटनाएँ घटी बुद्ध जी का जन्म , ज्ञान और निर्वाण | 2567 बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर 5 मई 2023
सुल्तानपुर- शासन के निर्देश पर डॉ लवकुश द्विवेदी निदेशक अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग द्वारा जनपद के बिजेथुआ महाबीरन सूरापुर में आकाशवाणी और दूरदर्शन की सुप्रसिद्ध लोक गायिका कुसुम वर्मा
हिन्दू पंचांग के अनुसार हर एक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत और पूजा साधना व आराधना की जाती है , लेकिन फागुन माह
वज्र कठोर , कुसुम कोरक ,पिनाक पान्ये नमो नमस्ते विश्व विजम सप्घ्म , नमो शिवाय शम्मुपते शिव सत चित आनन्द परमानंद है | शिव सृष्टि का प्राण केंद्र है |इनके
माघी पूर्णिमा दुनिया भर के थेरवाद बौद्ध माघ पूजा दिवस के रूप मनाते हैं, जो कई संस्कृतियों और मान्यताओं में फैले सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध त्योहारों में से एक है। परंपरा
माघी पूर्णिमा दुनिया भर के थेरवाद बौद्ध माघ पूजा दिवस के रूप मनाते हैं, जो कई संस्कृतियों और मान्यताओं में फैले सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध त्योहारों में से एक है। परंपरा