स्वतंत्रता दिवस
दिल में हमारे ये अरमान जागे हो अपना सबसे हिन्दुस्तान आगे। राष्ट्रप्रेम हो हमारे रगों रगों में रहे अपना इतिहास अमर युगों युगों में। तिरंगा की शान
दिल में हमारे ये अरमान जागे हो अपना सबसे हिन्दुस्तान आगे। राष्ट्रप्रेम हो हमारे रगों रगों में रहे अपना इतिहास अमर युगों युगों में। तिरंगा की शान
अधूरे ख्वाब सा तू ने अंधेरी राह में छोड़ा बहुत उम्मीद थी तुमसे मगर तू
स्याह हो गयी रात किधर जायेगा अक्स मेरा होगा तू जिधर जायेगा हिफ़ाजतन रखा है दिल के झरोखे मे देखकर मुझको फिर तू सवर जायेगा मिरे आगोश से निकलकर
जैसे मैना अपने बच्चों को, कुडा -कचड़ा में बिखरा हुआ दाना चुगना सिखलाती है। तुम वैसे ही अपने बच्चों को नेता चुनना सिखलाना बिखरे पुष्ट दानों को देखते ही
दुनिया के आगे इक योद्धा बनकर खड़े रहते हो तुम मगर भीतर से सुकोमल बच्चे जैसे हो तुम… ग़म सारे अपने भीतर छुपाए रखते हो तुम मगर सभी से
पीले-पीले आम रसीले, लेकर आयी नानी । बच्चों की जब नजर पड़ी तो, मुँह में आया पानी ।। नहीं मिलेगा आम किसी को, आकर बोली रानी । सारा दिन
आओ मिल सब करो दुआएं, नव वर्ष में सब नव हो जाए । कर्म किये जो गत सालों में, उसकी अब पहचान बन जाए। पा रखा है जो वर्षों से,
लगा पंख ख्वाहिशों के उड़ने लगा हूं जब से तेरी गलियों में घूमने लगा हूं ख्वाहिशें बिन एक आवारा बंजारा था खिलती कली देख कर मचलने लगा हूं| सिमट
सुनो ठेकेदारों, दलालों तुम भी सुनो अपने – अपने अनुयायियों की सिसकियाँ यदि कान हैं तुम्हारे ? जुबान तो है तुम लोगों की जिसे देखा है कई लोगों ने
आओं चले प्रकृति की ओर प्रकृति से प्रेम करें। आओ चले प्रकृति से जुड़कर खुद को स्वतंत्र करें, आओं चले अपने हाथों से खेती कर खुद को
आओं चले प्रकृति की ओर प्रकृति से प्रेम करें। आओ चले प्रकृति से जुड़कर खुद को स्वतंत्र करें, आओं चले अपने हाथों से खेती कर खुद को