
ख्वाइश
लगा पंख ख्वाहिशों के उड़ने लगा हूं जब से तेरी गलियों में घूमने लगा हूं ख्वाहिशें बिन एक आवारा बंजारा था खिलती कली देख कर मचलने लगा हूं| सिमट
लगा पंख ख्वाहिशों के उड़ने लगा हूं जब से तेरी गलियों में घूमने लगा हूं ख्वाहिशें बिन एक आवारा बंजारा था खिलती कली देख कर मचलने लगा हूं| सिमट
सुनो ठेकेदारों, दलालों तुम भी सुनो अपने – अपने अनुयायियों की सिसकियाँ यदि कान हैं तुम्हारे ? जुबान तो है तुम लोगों की जिसे देखा है कई लोगों ने
आओं चले प्रकृति की ओर प्रकृति से प्रेम करें। आओ चले प्रकृति से जुड़कर खुद को स्वतंत्र करें, आओं चले अपने हाथों से खेती कर खुद को
हम सुनाते तुम्हें वीर गाथा, जो लहू में नहाये हुए हैं। कर दिये नाम रोशन जहां में, सबके दिल में वो छाये हुए हैं। गांधी बिस्मिल भगत चन्द्रशेखर, हसते
कितना कुछ हमकों हर रोज देती प्रकृति मगर हमसे कुछ ना कभी लेती प्रकृति। सुंदर लगे पेड़ पौधे इनको ना तुम कांटों रखो इसका ध्यान सदा टुकड़ों में ना
हर रोज इक सोच मेरे मन में आता हैं क्यूं जिसे भूलना चाहा दिल उसे भूल न पाता हैं । ऐसी अनोखी बात उस शख्स में होती हैं जिसकी यादों
पाना हो यदि आपको अपनी कोई मंज़िल तो सफ़र के रास्ते पर हो जाइए शामिल। अपनी अपनी कहानी बनाने में निकले सब जाने क्या फैसला करेंगे हमारे रब। घर
बेटों को माँ,बहन,बेटी,बीवी के रूप में कई माएँ मिल जाती हैं मगर बेटियों के नसीब में सिर्फ़ एक माँ होती है माँ की दुवाओं में ही उसका नाम होता
जागो जागो ! आलस छोड़ो हुआ सवेरा आँखें खोलो लोभ -मुक्ति योग करो नित अब दहेज निषेध करो मीत बेटी बहू एक है समझो दहेज लेना पाप है कह
बड़ी मुश्किल से तुझको पाया सनम देख तुझको ये दुनिया भुलाया सनम। अंधियारे से जीवन तो घिरा था मेरा तुमने ही तो उजाला है लाया सनम। नज़रों के
बड़ी मुश्किल से तुझको पाया सनम देख तुझको ये दुनिया भुलाया सनम। अंधियारे से जीवन तो घिरा था मेरा तुमने ही तो उजाला है लाया सनम। नज़रों के