
माँ
इस धरा पर ईश्वर को किसने देखा है मगर यह सत्य है खुदा सबके संग है हर इंसान के लिए मां के रूप में है। कठिनाइयों से लड़ना मां हमे,
इस धरा पर ईश्वर को किसने देखा है मगर यह सत्य है खुदा सबके संग है हर इंसान के लिए मां के रूप में है। कठिनाइयों से लड़ना मां हमे,
ऐसा संविधान भारत का दुनियां करती है गुणगान मानवता हो पूज्य धरा पर राष्ट्र धर्म हो ऊपर जाति- पांति का भेद नहीं पर सेवा सबसे बढ़कर समाज का हर प्राणी
ऋतुवन के राजा बसंत बाटे आइल पीयर पीयर सरसो के फूल बा फुलाइल बड़ बूढ़ लइकन के जोश लागल जागे पीछे कलियन के भौरा लागल भागे मटर के
उत्कल के उगते सूरज का, बंगाल में किरणें आई किलकारी गूंजी आंगन में, परिवार
मकर राशि के गेह में, रवि ने किया प्रवेश बहुत याद आया हमें, अपना गाँव प्रदेश गन्ने से बनते हुए, गुड़ की सोंधी गन्ध और
घर का स्वाभिमान होती है बेटियाँ पिता का गुमान होती है बेटियाँ जिस घर में जन्म वही छोड जाती बेटो से ज्यादा धैर्यवान होती है बेटियाँ घर की लक्ष्मी होती
तुझे देखके बदला नज़ारा अब तू ही मेरा सहारा की सुध बुध भुल गया में। माही मेरा सबसे है प्यारा हर अदा पे हैं जीवन वारा की
नया वर्ष हो मंगलमय आप सबका मधुमय पवन में चमन झूमता है यशगान का परचम लहरे हमेशा आज पाताल धरती गगन झूमता है खुशियों से पूरा चमन झूमता है सुरभित
साल पुरान बिदा करके अब नूतन रूप लिए फिर आया नाचत गावत स्वागत में हमने खुशियाँ हर साल मनाया लेकिन रोवत गावत साल बितावत नैनन पोछ न पाया मूर्ख बने
ये उदास लम्हे मेरे फिर से खिल जाते दिन जो ,वर्ष के समान बीत रहे हैं यू नही बीतते कटते अगर तुम आ जाते। ठंडी की ये शामे याद तुम्हारी
ये उदास लम्हे मेरे फिर से खिल जाते दिन जो ,वर्ष के समान बीत रहे हैं यू नही बीतते कटते अगर तुम आ जाते। ठंडी की ये शामे याद तुम्हारी