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Category: कविता

23 Nov

माँ

मां होती है  कोई भी उपमा  इसके लिए छोटी है मां    जीने का अंदाज़ है जो कल थी  और होगी कल वही आज है कभी डाँटना  कभी गले से

6 Nov

( हवा ) ग़ज़ल

बदलतीं फिजाएं कुछ और कह रही हैं ये कैसी हवा  बेरुखी  बह  रही है |   सहमी समा है और सहमा आसमां गुलशन की रौनक खुद कह रही है  

17 Oct

निर्गुण

  कवनी नगरिया हमरे संवरिया छोड़ि के बाग तड़ाग रे ग‌इले लिहले सुहाग रे घरवा लियाइ के हमें ब‌इठवले   हथवा के मेंहदी कबो ना छुटले, डंसलस यमराजी नाग रे

8 Oct

बेटियां

गुनहगारों को अब बचाया जा रहा है बेटियों को न्याय दिलाया जा रहा है लूटकर अस्मत जान भी छीन ली है दोनों का बस दाम लगाया जा रहा है।  

4 Oct

मेरी याद

  आये मेरी याद तुझको प्रिय तब सोचना आँख मेरी भरने लगी हो तब सोचना।   हसरतों के पंख लगा के उड़ने लगी हूँ ख़ुदी से में बातें हरपल करने

2 Oct

गांधी का सपना

    गांधी जी दुनिया से चलते चलते तुम रह ग‌ए कहते आजादी नीचे से शुरू होनी चाहिए मगर आजादी दो बैलों के कन्धों पर चढ़ कर दिल्ली की रंगीन

19 Sep

गांव की कहानी

जहां घर की ईंट से ईंट आपस में टकराए चौखट और दरवाजे इक दूजे को ठुकराए   लहू खेत खलिहान में बह जाए बन के पानी ऐसे गांव की कहानी

16 Sep

हिंद में हिंदी

रो कर हिंदी कह रही,मत लो मेरा नाम कहते अपना हो मुझे, इंग्लिश में सब काम जहां राष्ट्रभाषा नहीं,गूॅगा है वह देश ना विश्व में होय कहीं,मन में है यह

8 Aug

बचपन

  क्या बात करूं मैं बचपन की तथा कहानी  अपनेपन  की  रहती थी कितनी आज़ादी   होवे  चाहे जो   बर्बादी  मुझे  बचा  लें दादा- दादी कहें हमें गुलाब उपवन की

4 Aug

कोरोना दोहे

“डॉ 0 भोला प्रसाद आग्नेय, (75) पूर्व प्रवक्ता , बलिया, निष्पक्ष प्रतिनिधि के लेखक है और इस समय कोरोना से ग्रसित है , प्रस्तुत हैं उनकी कुछ पंक्तिया covid –

4 Aug

कोरोना दोहे

“डॉ 0 भोला प्रसाद आग्नेय, (75) पूर्व प्रवक्ता , बलिया, निष्पक्ष प्रतिनिधि के लेखक है और इस समय कोरोना से ग्रसित है , प्रस्तुत हैं उनकी कुछ पंक्तिया covid –