तेरी यादों में
कुछ और दिन रहने दे संग अपने चलने दे चलते- चलते वो वक़्त आ ही जायेगा जब हमे बिछडना होगा नई राह पर चलना होगा। यह तो सच है कि
कुछ और दिन रहने दे संग अपने चलने दे चलते- चलते वो वक़्त आ ही जायेगा जब हमे बिछडना होगा नई राह पर चलना होगा। यह तो सच है कि
पापा की छोटी सोन चिरैया, घर में उछला करती थी, मम्मी भी तो हर पल उस पर, जान छिड़कतीरहती थी, अल्हड़ यौवन आया फिर भी, सबकी दुलारी बिटिया थी,
रोज- रोज करती हूँ खुद से नया बहाना पता नहीं है मुझे कहां है मेरा ठिकाना। जब अकेले ही मुझे हर हाल में है चलना तो क्या इंतज़ार अब
घर के बाहर बिलख रही दु:खिया गौरैया रानी ढूढ़ रही है मिला नहीं पर एक बूंद भी पानी ऊंचे ऊंचे महल अंटारी, सुंदर बाग बगइचा बाहर घास मखमली घर के
प्यार होने लगा, जब पसंद वो आये ख़फ़ा हो गए अपने, खबर ज्यूं ही मिले बन गए सब विरोधी, बागी मैं क्यूं बनूं तोबा, ऐसी मुहब्बत मैं क्यूं करूं ?
(डॉ 0 भोला प्रसाद आग्नेय ) आया कोरोना जाना पहचाना छोड़ दो कहीं भी तुम आना जाना दूसरी लहर है ढा रहा कहर है कुछ भी नहीं होगा
बहुत मन कर रहा है एक बार तुमसे मिलने का, बातें करने का, शिकायत करने का मीठा -मीठा सा झगड़ा करने का और तुम्हारे
डाॅ0 भोला प्रसाद आग्नेय कुछ न कुछ काम करत रहे ले माई निज हड्डी से लड़त रहे ले माई हमरे जिनगी के ऊ परिभाषा है, स्वर्णिम भविष्य खातिर अभिलाषा
सब तलाश में है कोई सुकून में है कोई सुकून से है पर! सब तलाश में हैं! मासूमों के हिस्से कम ही थी वैसे भी सांसें! अब उखाड़ी जा
पुतवो करी अब राजनीतिया हो रामा पोसे लागल गुण्डा सभका के देई पटकनिया हो रामा पोसे लागल गुण्डा कही सभ हमके नेता जी के बाप हो, फुफकारब हम जइसे गेहुवन
पुतवो करी अब राजनीतिया हो रामा पोसे लागल गुण्डा सभका के देई पटकनिया हो रामा पोसे लागल गुण्डा कही सभ हमके नेता जी के बाप हो, फुफकारब हम जइसे गेहुवन