सत्य और अहिंसा
सच कहता हूं देश शर्मसार होता है
महक फूलों में नहीं,भ्रमर आज रोता है
बापू , माली नहीं बाग जो संवार सके
हर इंसान केवल फर्ज अपना ढोता है
लेकर हाथ में गीता की कसम खाते हैं
तेरे चश्में का फोटो हर जगह लगाते हैं
झूठ लूट और रिश्वत की अब बुनियाद पड़े
आजादी कैसे मिली लोग भूल जाते हैं
एक आह्वान पर हजारों लोग आते थे
निहत्थे रहे , देख गोरे भाग जाते थे
भारत छोड़ो का स्वर आसमां में गूंजता था
बंदूक बारूद , लाठी देखकर घबराते थे
जलियावाले बाग कांड से दिल कांप गया
गोरों की काली करतूतों को देश भांप गया
विरोध पुरजोर हुआ गुलामी अब सहेंगे नहीं
बिना टूटे ही लाठी, डरके भाग सांप गया
अत्याचार – क्रूरता से, धरती- गगन शर्माए
ब्रिटिश ध्वज हटा ,अपने तिरंगे को फहराए
त्याग बलिदान से ही अंधियारा दूर हुआ
गांधी जी की बगिया ,खुशबुओं से हर्षाए
आओ बाबा फिर से देश सुधर जाएगा
परिभाषा,सत्य अहिंसा की समझ आएगा
तेरे सपनों का भारत नन्हे – मुन्ने भी देखें
बन सोने की चिड़िया ,जहां जगमगाएगा