दीपक ही जलाएं
झालर कभी भी कहीं ना लगाएं
माटी का दीपक प्रेम की बाती
हर ओर जगमग यही अपनी थाती
पहचान त्रेता की सबको कराएं
झालर कभी भी कहीं ना लगाएं
न बिजली बत्ती ना कोई झालर
साथ में केवल रीछ भालू बानर
वापस अयोध्या राम वन से आए
झालर कभी भी कहीं ना लगाएं
कुम्हार का दीया विश्वास का तेल
जन जन का आपस मे इतना था मेल
कुम्हारों को आज कभी ना रुलाएं
झालर कभी भी कहीं ना लगाएं
कतारों में दीपक ही दीपक जलें
कहीं हाथ छुपकर अंधेरा मले
परम्पराएं भी आप ऐसे निभाएं
झालर कभी भी कहीं ना लगाएं
है दीपावली तो दीपक जलाएं
झालर कभी भी कहीं ना लगाएं
-डाॅ0 भोला प्रसाद आग्नेय
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