भगवान धन्वन्तरि
कार्तिक कृष्ण तेरस को, धन्वन्तरि अवतार
विष्णू का ही रूप है, और हाथ हैं चार
शंख चक्र अमृत औषधि, लेकर करें विचार
स्वस्थ रहे शरीर सदा, स्वच्छ रक्त और स्वेद
किया कल्याण धरा का, लिख कर आयुर्वेद
धरा पर धन्वन्तरि का, प्रथम चिकित्सक रूप
रोग मुक्त मानव रहें, गरीब हों या भूप
आधार औषधीय है, किसी धातु का भस्म
इसलिए है धातु आज, खरीदने की रस्म
आओ तुम भी हम चलें, जहाँ सजा बाजार
बर्तन गहनें खरीद लें, होय धातु दो चार
अर्चन पूजन हम करें, धन्वन्तरि भगवान
अक्षत चन्दन फूल है, अर्पित चरण महान
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धनतेरस को पूजते, धरती के सब लोग
हो कृपा धन्वन्तरि की, रहें स्वस्थ निरोग
-डॉ भोला प्रसाद
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