खेती किसानी
शहर में मिलइ नाहीं शुद्ध हवा पानी
चल करी गउआं में खेती किसानी
चूना गारा काम कइले पड़ि जालें छाला
दवाई होये ना पावइ घर में रहइ ठाला
समझइं बगल वाली चाची हमके आपन नौकरानी
चल करी गउआं में खेती किसानी
मूली, टमाटर,मटर , बैगन, भिंडी- मर्चा
मंडी में बेचब घर के चली बढ़िया खर्चा
हाथ कहीं न पसारब सुख से कटी जिंदगानी
चल करी गउआं में खेती किसानी
सरसों गेहूं धान दलहन उपजे मकाई
दूध दही मक्खन ताजा मिलिहैं मलाई
बेटा बेटी बनिहैं पढ़िके डाक्टर इंजीनियर विज्ञानी
चल करी गउआं में खेती किसानी
अमवा के बारी कोयल पपिहा के बोली
अंगना में खिलिहैं हमरे बेला चमेली
निंदिया बहुत नीक आई रतियां खिले रात रानी
चल करी गउआं में खेती किसानी
घर में माई- बाबू, देवर ,जेठ और जेठानी
करिहैं ठिठोली ननद साथ में देवरानी
मंदिर घर आपन, गउआं बनाइब रजधानी
चल करी गउआं में खेती किसानी
Facebook Comments