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Category: कविता

11 Nov

खेती किसानी

शहर में  मिलइ नाहीं  शुद्ध हवा पानी चल करी गउआं में खेती किसानी चूना गारा काम कइले पड़ि जालें छाला दवाई होये ना पावइ घर में रहइ ठाला समझइं बगल

3 Nov

दीपक ही जलाएं

  है दीपावली तो दीपक जलाएं झालर कभी भी कहीं ना लगाएं माटी का दीपक प्रेम की बाती  हर ओर जगमग यही अपनी थाती   पहचान त्रेता की सबको कराएं

2 Nov

भगवान धन्वन्तरि

सागर मंथन के लिए, दैत्य देव तैयार कार्तिक कृष्ण तेरस को, धन्वन्तरि अवतार   विष्णू का ही रूप है, और हाथ हैं चार शंख चक्र अमृत औषधि, लेकर करें विचार

31 Oct

माटी की मूरत

माटी की मूरत हूँ  या ईश्वर का कोई करिश्मा  कहीं सब कुछ हूँ मै  और कहीं कुछ भी नही  जुए के पासे पर भी लगी  अग्नि परीक्षा भी हुई  किसी

26 Oct

शिव की महिमा

  औधड दानी शिव की कृपा  जब हम पर हो जाएगी  बडी से बडी बाधाएँ  पल भर में दूर हो जाएगी।    करते रहोगे जब तक  निशि दिन उनका ध्यान 

21 Oct

किस्मत

किस्मत ने जब जैसा चाहा ढलते गए हम  जिम्मेदारियों के बोझ तले दबते गए हम    मनमाफिक तो मिला नहीं कुछ जमाने से महज एहसानों के दलदल में फंसते गए

2 Oct

सत्य और अहिंसा

सच कहता हूं  देश  शर्मसार  होता है महक फूलों में नहीं,भ्रमर आज रोता है बापू , माली नहीं  बाग जो  संवार सके हर इंसान केवल फर्ज अपना ढोता है लेकर

18 Sep

किराये का परिधान

यह शरीर किराये का परिधान है  किराया जिसका सत्कर्म प्रधान है  मदद दीन- दुखियों की करते रहो दुःख दर्द तुम उनका हरते रहो वही तो परलोक में पहचान हैं  यह

14 Sep

हिंदी

हिंदी प्रतिबिंब आज                शीष्टता सजीवता की, भाषाओं की ताज            दीप्तिमान आज हिंदी है खेत खलिहान, सीमा    

12 Sep

हिंदी

रो कर हिंदी कह रही, मत लो मेरा नाम आदर इंग्लिश पा रही, मैं होती बदनाम   जहाँ राष्ट्र भाषा नहीं, गूंगा है वह देश हिंदी भाषी क्या करें, मन

12 Sep

हिंदी

रो कर हिंदी कह रही, मत लो मेरा नाम आदर इंग्लिश पा रही, मैं होती बदनाम   जहाँ राष्ट्र भाषा नहीं, गूंगा है वह देश हिंदी भाषी क्या करें, मन