दिल बेचारा
ख़ामोश रह कर
सब की बात ये
सुनता है जोभी
आए इसको राय
दे जाता है यह
सुन लेता है।
कभी किसी के
कठोर शब्द को
सुन के अन्दर
ही अन्दर रो लेता
है किसी से कुछ
नहीं कहता है ।
एक नए उमंग
के संग यह तो
सम्हल जाता है
चाहे जो भी हो
मगर दुनिया के
आगे मुस्कुराता है।
दिल में इतनी
ताकत होती है
कि यह अपने
दर्द का मरहम
खुद बनता है
खुद लगाता है।
दिल तक बहुत
कम लोग ही
पहुँच पाते हैं
अधिकतर लोग
तो दिल को
तोड़ ही जाते हैं।
दिल बेचारा मेरा
ना खुद रोता है
ना किसी को
रुलाता है खुश
रहता है,दूसरो
को भी रखता है।
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