बारिश की बूंदे
ये बारिश की बूंदे
न अब तुम्हारे
जैसी होती जा रही
है ना आ रही ना
जा रही वह तुम्हारी
तरह तडपा रही है।
क्या तुम्हें बारिश
पसंद नहीं है, गर
जरा सा भी, है
तो बारिश से कहो
न यहा आ जाए
और बरसा हो जाए।
इस बार तो बारिश
आने में बहुत, ही
देर कर रही ,है
लग रहा कि बारिश
भी तुम्हारे आने का
इंतज़ार कर रही है।
तुम मेरी बात अब
सुनते ही कहा हो
इस वर्षा की ही सुन
लो और मेरे लिए
नही सबके लिए
वर्षा लेकर आओ।
अब बारिश में भींग
जाने का बहुत ही
मन कर रहा है
जून हुआ ख़त्म
लेकिन वर्षा का
नामोनिशान नहीं है।
उम्मीद है बारिश
अब आएगी अपने
साथ बहुत सारी
यादे ले आएगी
और इस साल में
हमें खूब भीगाएगी।
Facebook Comments