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Category: कविता

3 Aug

घबराना क्यूँ

मजबूत है इरादे जब मेरे फिर घर लौट जाना क्यूँ निकल गए जब घर से पग मेरे कठिनाई से फिर घबराना क्यूँ। चाहत है जब आसमा छूने का रुक के

26 Jul

अखबार की हेडलाइन

अखबार की हेडलाइन पर  कितने ही दिनों से एक विषण्ण मृत्यु उतर आती है जैसे समय की पीठ पर सो जाती कोई चिरंतनी ड्रेसिंग टेबुल पर दिन-रात का अंतहीन खेल

17 Jul

दिल बेचारा

ख़ामोश रह कर सब की बात ये सुनता है जोभी आए इसको राय दे जाता है यह  सुन लेता है। कभी किसी के कठोर शब्द को सुन के अन्दर ही

28 Jun

बारिश की बूंदे

ये बारिश की बूंदे  न अब तुम्हारे जैसी होती जा रही है ना आ रही ना जा रही वह तुम्हारी तरह तडपा रही है। क्या तुम्हें बारिश पसंद नहीं है,

22 Jun

उम्मीद

उम्मीद है तुमसे लौट जरुर आओगे मगर ये डर जो है मुझे रोज सता जाता है तुम मुझे भूल तो नहीं जाओगे। बेचैनी हर वक़्त होती है आँखे भी मेरी

1 Jun

मुक्तक

लेने हेतु राशन मुफ्त सरकार से कुछ गरीब आते लग्जरी कार से कुछ अमीर बैठ टूटी झोपड़ी में जख्म धोते आंसुओं की धार से

8 May

माँ

इस धरा पर ईश्वर को किसने देखा है मगर यह सत्य है खुदा सबके संग है हर इंसान के लिए मां के रूप में है। कठिनाइयों से लड़ना मां हमे,

14 Apr

संविधान

ऐसा संविधान भारत का दुनियां करती  है गुणगान मानवता हो पूज्य  धरा पर राष्ट्र धर्म  हो ऊपर जाति- पांति का भेद नहीं पर सेवा  सबसे बढ़कर समाज का हर प्राणी

5 Feb

वसंत ऋतु

ऋतुवन के राजा बसंत बाटे आइल  पीयर पीयर सरसो के फूल बा फुलाइल   बड़ बूढ़ लइकन के जोश लागल जागे पीछे कलियन के भौरा लागल भागे   मटर के

22 Jan

जय हिंद

उत्कल के उगते सूरज का,                 बंगाल  में किरणें आई किलकारी गूंजी  आंगन में,                 परिवार

22 Jan

जय हिंद

उत्कल के उगते सूरज का,                 बंगाल  में किरणें आई किलकारी गूंजी  आंगन में,                 परिवार