वसंत ऋतु
पीयर पीयर सरसो के फूल बा फुलाइल
बड़ बूढ़ लइकन के जोश लागल जागे
पीछे कलियन के भौरा लागल भागे
मटर के छेमी जस सभे क मन गदराइल
ऋतुवन के राजा बसंत बाटे आइल
हरियाली देखि भइल खेतवो खुशहाल
झूम झूम जउवा चूमे गेहुंवा के गाल
बाटे मने मन चनवा खूबे अगराइल
ऋतुवन के राजा बसंत बाटे आइल
कतहीं बेहोश केहू कतहीं बेहाल
देखि देखि धनिया के अइठल चाल
गंध मादक लिहले अमवा मोजराइल
ऋतुवन के राजा बसंत बाटे आइल
लउक रहल बाटे बाग बगइचा बहार
मउज मस्ती खातिर जइसे भइल सुतार
ठर्रा बनावे बदे महुआ बा कोचाइल
ऋतुवन के राजा बसंत बाटे आइल
डॉ भोला प्रसाद , आग्नेय
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