स्वतंत्रता दिवस
मानव स्वभाव है सुख की आकांक्षा | सुख सब लोग चाहतें हैं किन्तु सुख की खोज ही तो दुःख का कारण है |स्वतंत्रता प्राप्ति का इतिहास भी ऐसा ही है
मानव स्वभाव है सुख की आकांक्षा | सुख सब लोग चाहतें हैं किन्तु सुख की खोज ही तो दुःख का कारण है |स्वतंत्रता प्राप्ति का इतिहास भी ऐसा ही है
हमारा मानव समाज विभिन्न प्रकार की समस्याओं से घिर गया है- चाहे वह समस्या बेरोजगारी की हो, या गरीबी की, या नैतिक पतन की, या सांस्कृतिक विकृति की, या सामाजिक
संविधान निर्माताओं ने शिक्षा विषयक प्रावधान राज्य के नीति निर्देशक तत्व के अंतर्गत आर्टिकल 45 के तहत वर्णित किया। विदित है कि राज्य के नीति निर्देशक तत्व के अंतर्गत
पहले और दूसरे लॉकडाउन में पूरी उम्मीद थी कि भारत कोविड-19 की वैश्विक महामारी पर नियंत्रण कर लेगा। पर अब तो अनलाकिंग के प्रथम चरण के साथ ही सरकार और
आज सभी मीडिया में ही राष्ट्रीयता का प्रचार परवान पर है। सत्तासीन जनेतागण भी सर्वत्र राष्ट्रीयता -राष्ट्रीयता का गान गाते नहीं थक रहे हैं। यहां एक प्रश्न किसी भी
मानव स्वभाव है हर घटना को जानने की उत्कंठा |कौन सी घटना कब हुई ? कहाँ हुई ? क्यों हुई ? कैसे हुई ? इत्यादि प्रश्नों के उत्तर को ढूढना
देश की आजादी के बाद से आज तक पूरे भारतवर्ष में और भारतवर्ष के बाहर अन्य देशों में कितने मजदूर मजदूरी करने को बाध्य हैं- इसका आंकड़ा ना तो केंद्र
लॉकडाउन के कारण प्रदेश में औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियां बहुत ज्यादा प्रभावित हुई हैं। सभी उद्योग बंद रहे. ऐसे में औद्योगिक क्षेत्र की ग्रोथ को प्रोत्साहित करना बहुत महत्वपूर्ण है।
भारत को आत्मनिर्भर बनाना मतलब भारतवर्ष के आमजन को आत्मनिर्भर बनाना। मोदी जी प्रधानमंत्री भारत सरकार के बहुत- सी हवा हवाई बातों को हम भारतीयों ने सुना है। अभी तक
चालीस दिनों की बंदी के बाद मदिरा की दुकानें खुलने पर अत्यधिक भीड़ होगी, यह अनुमान किसे नहीं था। पर विभिन्न शहरों में शराब के लिए लॉकडाउन की धज्जियां उड़ीं, प्रशासन की
चालीस दिनों की बंदी के बाद मदिरा की दुकानें खुलने पर अत्यधिक भीड़ होगी, यह अनुमान किसे नहीं था। पर विभिन्न शहरों में शराब के लिए लॉकडाउन की धज्जियां उड़ीं, प्रशासन की