शिक्षक दिवस
भगवान से भी अधिक है स्थान गुरु का माता- पिता से अधिक है सम्मान गुरु का अंधकार से निकाल कर जो रोशनी दिया सूरज- चांद से भी अधिक है पहचान
भगवान से भी अधिक है स्थान गुरु का माता- पिता से अधिक है सम्मान गुरु का अंधकार से निकाल कर जो रोशनी दिया सूरज- चांद से भी अधिक है पहचान
शहर से आने में रोज सांझ बिता ही देते हो, कभी तो समय से आकर बच्चों की कापी, किताब ,कलम, पेंसिल और रबर की जानकारी ले लिया करो। इतनी रात
कब से आंखे तरस रहीं हैं दर्शन तेरा हो जाए माला फूल चढ़ाने को आतुर मेरा मन हर्षाए झूला ढंका हुआ उस पर हीरे, मोती, सोने- चांदी मोर मुकुट धारण
शाहूजी महाराज मराठा सम्राट और छत्रपति संभाजी महाराज के बेटे थे |इनका जन्म 26 जून सन 1874 को मांगो, सतारा,महाराष्ट्र में हुआ था । राज्याभिषेक 12 जनवरी 1908 सतारा में
कबीर दास प्रेम का संदेश एवं समाज को नई दिशा देने वाले संत थे। जहां प्रेम है वहीं खुशी है,जहां खुशी है वहीं ईश्वर का निवास होता है। अहंकार, ईर्ष्या,
ज्येष्ठ और आषाढ़ मास में आंधी, तूफान और बारिश देखते ही भारतीय किसानों को महाकवि घाघ याद आ ही जाते हैं। खेतों की जुताई- बुआई के गुर, वर्षा का पूर्वानुमान,पैदावार
यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रम् तस्य करोति किं लोचनाभ्याम विहिनस्य, दर्पण: किं करिश्यति अर्थात:- जिस
घर के बाहर बिलख रही दु:खिया गौरैया रानी ढूढ़ रही है मिला नहीं पर एक बूंद भी पानी ऊंचे ऊंचे महल अंटारी, सुंदर बाग बगइचा बाहर घास मखमली घर के
श्रृष्टि भी एक बार जरूर सोचती होगी कि आखिरकार इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य राजवंश के राजा शुद्धोधन का प्रिय राज कुमार सिद्धार्थ परिवार सुख ,राज सुख,वैभव सुख और राजपाठ का
हर साल कोरोना अइले, बड़ परेशानी बलमू अपने गांव में चलिके फिर से, कर किसानी बलमू अब कबहूं नाहीं जइबइ , पूना ,बांबे और दिल्ली भागि – भागि आवइ के
हर साल कोरोना अइले, बड़ परेशानी बलमू अपने गांव में चलिके फिर से, कर किसानी बलमू अब कबहूं नाहीं जइबइ , पूना ,बांबे और दिल्ली भागि – भागि आवइ के