Wednesday 15th of October 2025 02:10:26 AM

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Category: कविता

8 Nov

ठीक होता है

कोई समझे न तेरी बातों को  तो चुप रह जाना ही ठीक होता है | बयाँ जब बात न हो पाए तो  खामोशी का सबब ही ठीक होता है |

22 Oct

माटी का दीया

कुम्हार की मेहनत को घर पर लाए विदेशी झालरों को हम दूर भगाए इस दीपावली सिर्फ माटी का दीया जलाए। अमीर गरीब सभी के घर, महलो को रौशन करता है

19 Oct

तुम्हारा वादा

मुस्कान चेहरे पे तुम्हें सोचू तो आ  ही जाती है याद तुम्हारी यू आजकल हमें   तड़पाती है। इंतज़ार तुम्हारा करती थी मैं बहोत बेसब्री से फिर मिल ही जाते,

21 Sep

आंखों का तारा

तुम्हें जब दिल में उतारा बन गए हो तुम तब से इन आंखों का तारा। नही लगता है मुझे तुमसा कोई प्यारा तुम सदा ही साथ   देना हमारा। जब

16 Sep

ठोकरें

हर एक ठोकर हमे सिखाती है सफलता का मुकाम  हर एक ठोकर हमे सिखाती है जिन्दगी का पैगाम  हर एक ठोकर हमे सीख देती है |   ठोकरें हमे रुलाती

13 Sep

किताब

ना किया करो आप खुराफात की बात थोड़ा वक़्त निकाल  कर पढ़ो किताब। स्मार्टफ़ोन के जमाने में लोग मोबाइल में खो रहे किताबों से  एकदम दूर हो रहे। किताबो से

8 Sep

जब से तुम्हे पाया

जब से तुम्हे पाया दिल को करार आया साथ चलते हो तुम बनके मेरा साया। तुम्हारा प्यार मेरे रग रग में है समाया खड़े रहके खुद धूप में मुझे देते

30 Aug

एक अरमान

रखो मन में एक अरमान करो उसी का सम्मान कभी ना करो तुम स्वयं पर अभिमान। मन पर अपने काबू रखो करो अपना काम ना दो कभी किसी के बुराई

12 Aug

रक्षाबंधन

राखी है भाई बहन का अद्भुत त्यौहार मांगे बहन इस पर्व  पर दुआ हजार। न कम हो कभी भाई बहन का प्यार आए सावन माह में रक्षाबंधन हर साल। होता

3 Aug

घबराना क्यूँ

मजबूत है इरादे जब मेरे फिर घर लौट जाना क्यूँ निकल गए जब घर से पग मेरे कठिनाई से फिर घबराना क्यूँ। चाहत है जब आसमा छूने का रुक के

3 Aug

घबराना क्यूँ

मजबूत है इरादे जब मेरे फिर घर लौट जाना क्यूँ निकल गए जब घर से पग मेरे कठिनाई से फिर घबराना क्यूँ। चाहत है जब आसमा छूने का रुक के