
लोकतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता
लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है पत्रकारिता | पत्रकारिता तीनों स्तंभों विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका को सत्य पर आधारित तथ्यों का ज्ञान कराने दिशा निर्देश करने वाला महत्वपूर्ण अंग है |
लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है पत्रकारिता | पत्रकारिता तीनों स्तंभों विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका को सत्य पर आधारित तथ्यों का ज्ञान कराने दिशा निर्देश करने वाला महत्वपूर्ण अंग है |
सिनेमा, कला की एक अत्यधिक प्रभावशाली विधा के रूप में, वैश्वीकरण और दुनिया भर में हो रही तकनीकी प्रगति के कारण महत्वपूर्ण बदलावों से गुजर रहा है। फिल्म निर्माण बहुआयामी
पिछले कुछ महीने से भोजपुरी पुनर्जागरण मंच द्वारा भोजपुरी भाषा के प्रचार -प्रसार एवं संवैधानिक मान्यता के लिए निरंतर कार्यक्रम आयोजित हो रहे है | जिसमे भोजपुरी भाषी लोग बढ़
महिला किसान शब्द कम सुनने को मिलेगा, महिला श्रमिक शब्द ज्यादा, इसलिये लेख की शुरुआत से लेकर अन्त तक यह लेख विशेष इन्ही के लिये। महिला श्रमिक सभी वक्त हरेक
भोजपुरी क्षेत्र का इतिहास गौरवशाली रहा है | यहाँ की महान पवित्र मानवीय उपलब्धियां ,ज्ञान कर्म आध्यात्म और शक्ति की सुगंध मन को मोह लेती है |भोजपुरी माटी के महान
हम लोग जहां भी जाते हैं प्रकृति के गोद में ही जाते हैं, उससे दूर हम रह ही नहीं सकते। वह हमारे बिना भी अधूरे हैं, इसीलिए हमारी सुरक्षा भी
नेपोलियन बोनापार्ट का यह कथन विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि ” आप मुझे सौ सुशिक्षित माँ दे तो हम आपको एक सुशिक्षित व सम्पन्न राष्ट्र दे सकते है |पूरी
“कौन रंग फागुन रंगे, रंगता कौन वसंत, प्रेम रंग फागुन रंगे, प्रीत कुसुभ वसंत” सफेद कैनवस पर रंगो का उत्सव होली,, अलसी की बात पर नखरीली सरसों की हंसी होली
नव वर्ष का आगमन नई आशाओं ,नये सपनों, नये लक्ष्यों के साथ होता है। हमें मिल-जुल कर स्वागत करना चाहिए| नये वर्ष का प्रारम्भ एक ऐतिहासिक घटना क्रम को दर्शाता
लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है पत्रकारिता | लेकिन मेरा मानना है कि पत्रकारिता तीनो स्तम्भों – विधायिका , कार्यपालिका और न्यायपालिका को सत्य पर आधारित तथ्यों का ज्ञान कराने /दिशा
लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है पत्रकारिता | लेकिन मेरा मानना है कि पत्रकारिता तीनो स्तम्भों – विधायिका , कार्यपालिका और न्यायपालिका को सत्य पर आधारित तथ्यों का ज्ञान कराने /दिशा