
नव वर्ष : जिजीविषा एवं लालित्य का समास
नववर्ष केवल नये समय का पर्व नहीं। वह जिजीविषा, सामूहिकता, वैभव, समृद्धि की कामना, संकल्प, नूतनता के उन्मेष का भी प्रकटीकरण है। विषाद की छाया के विरुद्ध नवता का उद्
नववर्ष केवल नये समय का पर्व नहीं। वह जिजीविषा, सामूहिकता, वैभव, समृद्धि की कामना, संकल्प, नूतनता के उन्मेष का भी प्रकटीकरण है। विषाद की छाया के विरुद्ध नवता का उद्
युग द्रष्टा, युग स्रष्टा प्रभात रंजन सरकार जी का कथन है: “Because food is the most essential commodity, agriculture is the most important part of the economy and should
‘हाथरस की निर्भया ने दम तोड़ दिया’. इस खबर ने मुझे न तो चौंकाया और न ही शांत रहने दिया क्योंकि हर रोज़ न जाने कितनी निर्भया इस पुरुष प्रधान
73 वर्षों के आज़ाद भारत को देखने से यह परिलक्षित होता है की राजनीतिक लोकतंत्र लोगों की आशाओं और उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है, न ही इस व्यवस्था के
मानव स्वभाव है सुख की आकांक्षा | सुख सब लोग चाहतें हैं किन्तु सुख की खोज ही तो दुःख का कारण है |स्वतंत्रता प्राप्ति का इतिहास भी ऐसा ही है
हमारा मानव समाज विभिन्न प्रकार की समस्याओं से घिर गया है- चाहे वह समस्या बेरोजगारी की हो, या गरीबी की, या नैतिक पतन की, या सांस्कृतिक विकृति की, या सामाजिक
संविधान निर्माताओं ने शिक्षा विषयक प्रावधान राज्य के नीति निर्देशक तत्व के अंतर्गत आर्टिकल 45 के तहत वर्णित किया। विदित है कि राज्य के नीति निर्देशक तत्व के अंतर्गत
पहले और दूसरे लॉकडाउन में पूरी उम्मीद थी कि भारत कोविड-19 की वैश्विक महामारी पर नियंत्रण कर लेगा। पर अब तो अनलाकिंग के प्रथम चरण के साथ ही सरकार और
आज सभी मीडिया में ही राष्ट्रीयता का प्रचार परवान पर है। सत्तासीन जनेतागण भी सर्वत्र राष्ट्रीयता -राष्ट्रीयता का गान गाते नहीं थक रहे हैं। यहां एक प्रश्न किसी भी
मानव स्वभाव है हर घटना को जानने की उत्कंठा |कौन सी घटना कब हुई ? कहाँ हुई ? क्यों हुई ? कैसे हुई ? इत्यादि प्रश्नों के उत्तर को ढूढना
मानव स्वभाव है हर घटना को जानने की उत्कंठा |कौन सी घटना कब हुई ? कहाँ हुई ? क्यों हुई ? कैसे हुई ? इत्यादि प्रश्नों के उत्तर को ढूढना