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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 28 Aug 2020 9:35 AM |   344 views

देश की वर्तमान स्थिति

73 वर्षों के आज़ाद भारत  को देखने से यह परिलक्षित होता है की राजनीतिक लोकतंत्र लोगों की आशाओं और उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है, न ही इस व्यवस्था के कारण एक मजबूत और स्वस्थ मानव समाज का निर्माण हुआ है। ऐसे में सिर्फ एक ही रास्ता बचता है अर्थव्यवस्था का विकेंद्रीकरण।
 
आर्थिक लोकतंत्र की सबसे पहली आवश्यकता यह है कि युग विशेष के अनुसार सभी लोगों के लिए न्यूनतम आवश्यकताओं यथा भोजन, कपड़ा, मकान, चिकित्सा और शिक्षा उन्हें गारंटी के साथ उपलब्ध करवाई जाए। यह केवल एक व्यक्ति का अधिकार नहीं है।यह तो पूरे समाज की जरूरत है क्योंकि समाज के प्रत्येक हिस्से को न्यूनतम आवश्यकता उपलब्ध करवाने से समाज कल्याण की भावना मजबूत होगी। समाज की नीव मजबूत होगी। समाज में भाईचारे का प्रकाश होगा ,भाईचारे की ज्योति जलेगी। 
 
प्रजातंत्र के जनप्रतिनिधि आर्थिक लोकतंत्र की राह में सबसे बड़ी बाधा हैं। ये जन कल्याण नहीं चाहते। यह  सत्ता सुख चाहते हैं और सत्ता प्राप्ति के लिए हर तरह की तिकड़म बाजी करते हैं। शिक्षा और चिकित्सा को इन्होंने गर्त में डुबो दिया है। भारत की कोई भी राजनीतिक पार्टियां स्वस्थ समाज का निर्माण करने में सक्षम नहीं है। इसलिए नए सिरे से विचार करना होगा नई दिशाएं तय करनी होगी और इन्हें सत्ता से बेदखल करना होगा।
 
भारत एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन अद्यतन किसानों की समस्याएं यथावत बनी हुई हैं। यहां की 70% आबादी सिर्फ खेती पर ही निर्भर है। जब तक 70% आबादी सिर्फ खेती पर ही निर्भर रहेगी लोगों की आर्थिक दशा में सुधार आना असंभव है। 
 
 जनप्रतिनिधि यही चाहते हैं की जनता इन्हें केवल वोट दें और ये जनता को  अनुदान पर जिंदा रख सत्ता भोग करते रहें।  यह भी एक आश्चर्यजनक बात है कि यह सोशल मीडिया वाले पूंजीपति, ब्यूरोक्रेट्स और जनप्रतिनिधियों के ही पक्षधर हैं। मैंने देखा है और देख रहा हूं कि मेरे विप्लवी आलेख को इन्हें आगे बढ़ाने में काफी दिक्कत होती है।
 
 
अभी-अभी जो साढे चार लाख नियोजित शिक्षकों के लिए बिहार सरकार ने सेवा शर्त पारित किया है, अधिसूचित किया है वह  क्रूर मजाक के सिवा कुछ भी नहीं है, पूरी की पूरी सेवा शर्त  असंवैधानिक है। यह जनप्रतिनिधि अच्छी तरह जानते हैं कि सरकारी विद्यालयों में गरीब बच्चे पढ़ते हैं उनकी शिक्षा केवल साक्षरता तक होनी चाहिए ताकि  उनसे वोट प्राप्त करना आसान हो। इसलिए इन्हें गरीब बच्चों की चिंता क्यों होगी? क्यों ये लोग बेहतर शिक्षा  व्यवस्था और बेहतर शिक्षक की व्यवस्था करेंगे ?यही है हमारे देश के  हालात।
 
( कृपा शंकर पाण्डेय , बेतिया ,बिहार )
 
 
 
 
 
 
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