संविधान
दुनियां में नाम आज होता कि,संविधान ऐसा बना है देश का विकास हो यह पहली है वरीयता, जाति – धर्म से भी ऊपर राष्ट्र की वरिष्ठता मानव – मानव में
दुनियां में नाम आज होता कि,संविधान ऐसा बना है देश का विकास हो यह पहली है वरीयता, जाति – धर्म से भी ऊपर राष्ट्र की वरिष्ठता मानव – मानव में
मेरे गांव में मोहन आ जाओ होली में अबीर – गुलाल साथ पिचकारी, खड़े हैं रंग लिए नर – नारी। गोपी , ग्वाल- गोपाल सभी आओ होली में, मेरे गांव
मेहनत से किसान उपजइहैं , खेत में सोना- चानी । चारिउ ओर खुशहाली छाए गांव बने रजधानी। कलियन के मकरंद पहरुआ अमराई के शानी । ओढ़ि केसरिया धानी चूनर चमकइं
एक दिन अपने बचपन के सहपाठी मित्र के पहुंचा तो देखा कि मेरा मित्र एक गिफ्ट पैकेट तैयार कर रहा था। मैंने पूछा कि”यह गिफ्ट पैकेट किसके लिए है? “वह
कहे वेलेंटाइन डे, छोड़ो अपनी शर्म इज़हार करो प्यार का, यही आज का धर्म यही आज का धर्म,न सोचें ऊपर नीचे भले उसकी जूती, पड़ेंगे आगे पीछे कहते हैं”आग्नेय”,मर्द वही
जड़ वस्तु के पाने की सीमाहीन इक्षा ही पूंजीवाद को जन्म दिया है।जमीन जायदाद, रुपया पैसा ,धातु वाली, अधातु वाली, क्रय विक्रय की सामग्रियां, ये सब जड़ जागतीक धन-संपत्तियों के
प्यार का मीठा एहसास हैं बेटियां, अपने आंगन की विश्वास हैं बेटियां। वक्त भी थामकर जिनका दामन चले, ढलते जीवन की हर सांस हैं बेटियां। उनके पलकों के आंचल में
आज सुबह एक मित्र ने मुझसे कहा कि ” अब हिंदी का क्रेज वर्ल्ड लेवल पर बढ़ रहा है। इसीलिए अब हर साल दस जनवरी को वर्ल्ड हिंदी डे मनाया
समता मूलक और शोषण मुक्त समाज बनाने, शिक्षा का अधिकार दिलाने, और महिलाओं को शिक्षित करके उनमें स्वाभिमान जगाने के लिए जिस तरह से दलित संत और समाज सुधारकों में
भिखारी ठाकुर का जन्म 18 दिसंबर 1887 दिन सोमवार को ठीक दोपहर में ठाकुर परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम दलसिंगार ठाकुर और माता का नाम शिवकली देवी
भिखारी ठाकुर का जन्म 18 दिसंबर 1887 दिन सोमवार को ठीक दोपहर में ठाकुर परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम दलसिंगार ठाकुर और माता का नाम शिवकली देवी