एक अरमान
रखो मन में एक अरमान करो उसी का सम्मान कभी ना करो तुम स्वयं पर अभिमान। मन पर अपने काबू रखो करो अपना काम ना दो कभी किसी के बुराई
रखो मन में एक अरमान करो उसी का सम्मान कभी ना करो तुम स्वयं पर अभिमान। मन पर अपने काबू रखो करो अपना काम ना दो कभी किसी के बुराई
देश की शान है हमारा अभिमान है यह तिरंगा हम वो भारतवासी है जिनके होठो पर है नाम गंगा और लहराता हुआ हाथ में है अपना तिरंगा ना सिर्फ तीन
राखी है भाई बहन का अद्भुत त्यौहार मांगे बहन इस पर्व पर दुआ हजार। न कम हो कभी भाई बहन का प्यार आए सावन माह में रक्षाबंधन हर साल। होता
मजबूत है इरादे जब मेरे फिर घर लौट जाना क्यूँ निकल गए जब घर से पग मेरे कठिनाई से फिर घबराना क्यूँ। चाहत है जब आसमा छूने का रुक के
ख़ामोश रह कर सब की बात ये सुनता है जोभी आए इसको राय दे जाता है यह सुन लेता है। कभी किसी के कठोर शब्द को सुन के अन्दर ही
ये बारिश की बूंदे न अब तुम्हारे जैसी होती जा रही है ना आ रही ना जा रही वह तुम्हारी तरह तडपा रही है। क्या तुम्हें बारिश पसंद नहीं है,
उम्मीद है तुमसे लौट जरुर आओगे मगर ये डर जो है मुझे रोज सता जाता है तुम मुझे भूल तो नहीं जाओगे। बेचैनी हर वक़्त होती है आँखे भी मेरी
इस धरा पर ईश्वर को किसने देखा है मगर यह सत्य है खुदा सबके संग है हर इंसान के लिए मां के रूप में है। कठिनाइयों से लड़ना मां हमे,
घर का स्वाभिमान होती है बेटियाँ पिता का गुमान होती है बेटियाँ जिस घर में जन्म वही छोड जाती बेटो से ज्यादा धैर्यवान होती है बेटियाँ घर की लक्ष्मी होती
ये उदास लम्हे मेरे फिर से खिल जाते दिन जो ,वर्ष के समान बीत रहे हैं यू नही बीतते कटते अगर तुम आ जाते। ठंडी की ये शामे याद तुम्हारी
ये उदास लम्हे मेरे फिर से खिल जाते दिन जो ,वर्ष के समान बीत रहे हैं यू नही बीतते कटते अगर तुम आ जाते। ठंडी की ये शामे याद तुम्हारी