तुम आ जाते

ये उदास लम्हे मेरे
फिर से खिल जाते
दिन जो ,वर्ष के
समान बीत रहे हैं
यू नही बीतते कटते
अगर तुम आ जाते।
ठंडी की ये शामे
याद तुम्हारी हमे
हर रोज दिलाती है
तुम दिखो ना दिखो
तुम्हारी परछाई हमे
दिखाई, पडती है।
गलती से ही सही
एक बार तुम क्यो
नहीं याद करते मुझे
कभी तो सोच लो
ना ,मेरे बारे में
जरा याद करो मुझे।
कैलेंडर देखो तो कभी
दिन नही अब तो
साल बितने वाला है
यह साल भी अब
दो, चार दिनो में
याद बनने वाला है।
क्या इस साल में
भी तुम ये दूरी
को खत्म नही करोगे
क्या अपने मौज में
मस्ती में, दुनिया में
ही तुम खोए रहोगे।
जवाब अपना मुझे
बता कर जाते, तो
हम तुम्हारा यू ना
राह देखा करते, ना
तुम आ जाते यह
बात भी ना कहते।
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