देश प्रेम
ये सगा है, वो पराया
वो काला है, ये है गोरा
यह अधम है, वह है उत्तम
वह ऊंचा है, यह है निम्नतम
यूं जन – जन ना भेद करें हम
आओ, देशप्रेम करें हम
वो बिहारी, ये बंगाली
दिल्ली का ये, वो पंजाबी
कोई पूरब, कोई पश्चिम वाला
कोई उत्तर, कोई दक्षिणवासी
यूं खंड – खंड ना देश करें हम
आओ, देशप्रेम करें हम
मेरा हक है उससे ज्यादा
कम नहीं हो मेरी मर्यादा
इसको क्यूं अधिकार मिले ?
उसको हड़पने का इरादा!
यूं ना मनभेद करें हम
आओ, देशप्रेम करें हम
(कवि पुष्प रंजन कुमार )
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