तिरंगा
जो लहू में नहाये हुए हैं।
कर दिये नाम रोशन जहां में,
सबके दिल में वो छाये हुए हैं।
गांधी बिस्मिल भगत चन्द्रशेखर,
हसते हंसते गये जान देकर।
शान घटने न पाए वतन का,
सर जो ऊंचा उठाये हुए हैं।
ज़ुल्म सहते हुए पर ना रोएं,
किसी मांओं ने है लाल खोए।
फूल जो भी खिले इस चमन में,
उनकी खुशबू मे समाये हुए हैं।
जब तलक चांद सूरज रहेगा,
इस गगन में तिरंगा रहेगा।
मान इसका सदा ही रहेगा,
हम जो महफ़िल सजाए हुए हैं।
मुड़ के देखो ना पीछे महेनदर,
चल पड़ा कारवां तेरे पीछे,
अब तो मंजिल नहीं दूर तुमसे
-महेंद्र प्रसाद गौड़
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