नव वर्ष में सब, नव हो जाए
नव वर्ष में सब नव हो जाए ।
कर्म किये जो गत सालों में,
उसकी अब पहचान बन जाए।
पा रखा है जो वर्षों से,
रहे सलामत, और बढ़ जाए।
आओ मिल सब करो दुआएं,
नव वर्ष में सब नव हो जाये।
सबको मिले मौका जीने का,
फटे हुए दामन सीने का ।
पीड़ा जिसने दी हो अब तक,
अपना वह हर मन खोने का ।
आंखों ने देखे जो-जो सपने,
आज हकीकत में ढल जाएँ ।
आओ मिल सब करो दुआएं,
नव वर्ष में सब नव हो जाये।
हर भूखे को रोटी हो,
नंगे बदन पर धोती ।
हर हाथों को काज मिले अब ,
राज तंत्र की हो नीति ।
जान से प्यारा वतन हमारा,
जाति – धरम सब भूल जाएँ ।
आओ मिल सब करो दुआएं,
नव वर्ष में सब नव हो जाये।
बमों का अब शोर न गूंजे,
हाथों की चूड़ी ना टूटे ।
मन के सारे क्लेश मिटाकर,
नई पावन दृष्टि मिले ।
मिट जाये आतंक जगत से,
शान्ति की वृष्टि हो जाये।
आओ मिल सब करो दुआएं,
नव वर्ष में सब नव हो जाए ।
( पुष्प रंजन,अरवल )
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