
अब दहेज निषेध करो मीत
जागो जागो ! आलस छोड़ो हुआ सवेरा आँखें खोलो लोभ -मुक्ति योग करो नित अब दहेज निषेध करो मीत बेटी बहू एक है समझो दहेज लेना पाप है कह
जागो जागो ! आलस छोड़ो हुआ सवेरा आँखें खोलो लोभ -मुक्ति योग करो नित अब दहेज निषेध करो मीत बेटी बहू एक है समझो दहेज लेना पाप है कह
बड़ी मुश्किल से तुझको पाया सनम देख तुझको ये दुनिया भुलाया सनम। अंधियारे से जीवन तो घिरा था मेरा तुमने ही तो उजाला है लाया सनम। नज़रों के
देखो सखी होरी आई रे कर बरजोरी खेलें बिरज में होरी करत ठिठोली जैसे राधिका संग कन्हाई रे मन में भर -भर उमंग जैसे जल में तरंग रँगी सांवरे
कितनी कहांनिया बनी सफर में चलते चलते कितनी मुश्किले दूर हुई सफर में चलते चलते। वक़्त भी बदला और बदला भी यह मौसम मगर हम ना बदले तेरी
जय करुणाकर,जय शिवशम्भू जय सोमनाथ,केदार शिव जय पशुपति नाथ हे महादेव जय सकल सुखों के सार शिव कैलाश पति हे उमाकान्त अविनाशी, अपरम्पार शिव शशि धर,गंगा धर
समय को कोई रोक कहाँ है पाता हाथों से पानी की तरह बह है जाता। समय रहते हमको करना है कुछ काम जिससे रौशन हो सके दुनिया में हमारा नाम।
सघन अंधेरा लुप्त दिशाएं विपदा की घनघोर घटाएं संशित आशाओं के पथ पर व्याकुल मन की मूक व्यथाएँ कंटक से लिपटी सब राहें आशा की प्रतिकूल प्रवाहें
मेरे हौसलों को नई उम्मीद देता है तेरा चेहरा रूठे हुए मन को अक्सर मना लेता है तेरा चेहरा। घोर निराशा को आशा में बदल देता है तेरा चेहरा हर
सब के बस की बात नहीं, कवि बनना कविता करना जब थाती आपके पास नही, कैसे कर सकते हैं रचना ? शब्दों की थाती होती है, भाव सुमन भी होते
सुन -सुन ले रे मन खामोश हो जाए धड़कन चाहे निकले दम हौसला न हो कम। किसी कीमत पर हम भी लहराएंगे परचम सहेंगे कुछ भी यातना आंखें बगैर
सुन -सुन ले रे मन खामोश हो जाए धड़कन चाहे निकले दम हौसला न हो कम। किसी कीमत पर हम भी लहराएंगे परचम सहेंगे कुछ भी यातना आंखें बगैर