सखी होरी आई रे
देखो सखी होरी आई रे
कर बरजोरी
खेलें बिरज में होरी
करत ठिठोली
जैसे राधिका संग कन्हाई रे
मन में भर -भर उमंग
जैसे जल में तरंग
रँगी सांवरे के रंग
भींग रहा अंग अंग
प्रीत गीत बन के अधर पे छाई रे
बसन्ती बयार में
झूमें मन अनुरागी
रंग भरे अंग में
उमंग संग जागी
प्रेम रंग रँगी बहे पुरवाई रे
झांझ बजे ढोल बजे
उमंग में मृदंग बजे
थिरक -थिरक थाप पे
पायलिया संग बजे
सखी ऋतु राज ने ली अंगड़ाई रे
भरि भरि पिचकारी
की सतरंगी धार पे
मादक बसन्त हुआ
प्रीत की पुकार पे
होरी,धमार की सुन धुन छाई रे
एक न जतन चली
माने न मनबसिया
अबीर गुलाल डार
लाज रंग रँगी सिया
होरी के रंग में रंगे रघुराई रे
देख देख चितवन
चकोर भये सांवरे
भंग में उमंग डार
नैन हुए बावरे
सतरंगी देखो बदरिया घिर आई रे
चौक पुराओ सखी
मंगल गाओ
मीठे पकवानों से
थालियां सजाओ
खुशी उल्लास संग आज घर आई रे
धरा आज लाल हुई
अम्बर गुलाल
बासन्ती पुरवाई
पनघट रसाल
गोरी की चुनर मगन लहराई रे
-वन्दना गुप्ता
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