अब दहेज निषेध करो मीत
हुआ सवेरा आँखें खोलो
लोभ -मुक्ति योग करो नित
अब दहेज निषेध करो मीत
बेटी बहू एक है समझो
दहेज लेना पाप है कह दो
मार दो रिश्तों का दीमक
बंद करो रीत कलंकित
अब दहेज निषेध करो मीत
बेटी को कभी बोझ न समझो
बिना बहू वंश कैसे सोचो
रिश्ता बेचने वाला किसका
बन सकता है सच्चा हित
अब दहेज निषेध करो मीत
समझता कैसे कन्या को हीन
कौन जन्मा है माता के बिन
बेटी नहीं तो जीवन अधूरा
टूअर जग बगैर नारी प्रीत
अब दहेज निषेध करो मीत
घर- घर दहेज कलंक बना है
मानो, लड़का नहीं रंक जन्मा है
शर्म करो, कुछ बोलो धीर
अब दहेज निषेध करो मीत
( पुष्प रंजन )
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