इन्तजार
कितनी कहांनिया बनी
सफर में चलते चलते
कितनी मुश्किले दूर हुई
सफर में चलते चलते।
वक़्त भी बदला और
बदला भी यह मौसम
मगर हम ना बदले तेरी
यादों में ही रहते है हम।
तुम जब साथ थे
घबराता ना था मन
सुन्दर सुहावन था
मेरा मन और जीवन।
तुम्हारे शहर से आने वाली
हवा से भी हाल पूछते है
तुम कहां हो, कैसे हो
अक्सर सवाल करते है।
मीठी याद की तरह
दिल में समाए हो तुम
जरा भी नहीं लगते
कभी हमें पराए हो तुम।
कभी तो आओ यहाँ
जहां मिले थे हम
तुम्हारे इंतजार में यही
आज भी खड़े हैं हम।
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