
काशी अष्टाध्यायी है और भारत उसका भाष्य- प्रो० शैलेश मिश्र
बनारस -संस्कृति, सभ्यता है, और कला आत्मा है, और इन दोनों का मिलन ही काशी है। ” उक्त विचार लाल बहादुर शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय, रामनगर, वाराणसी (संस्कृति विभाग, उ०प्र०)
बनारस -संस्कृति, सभ्यता है, और कला आत्मा है, और इन दोनों का मिलन ही काशी है। ” उक्त विचार लाल बहादुर शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय, रामनगर, वाराणसी (संस्कृति विभाग, उ०प्र०)
गोरखपुर- संस्कृति विभाग , उत्तर प्रदेश के सहयोग से शारदा संगीतालय गोरखपुर द्वारा लुप्त हो रहे लोक गीतों के संरक्षण के उद्देश्य से 4 मई से 13 मई तक चलाए
गोरखपुर- सरस्वती शिशु मन्दिर (10+2) पक्कीबाग गोरखपुर के प्रधानाचार्य डॉ राजेश सिंह, प्रदेश निरीक्षक राम सिंह व प्रबंधक संजय जायसवाल , कोषाध्यक्ष महेश गर्ग , प्रथम सहायक रुक्मिणी उपाध्याय ने
कुशीनगर जनपद की 31वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारतीय संस्कृति में अनगिनत पौराणिक और ऐतिहासिक कालखंडों की साक्षी रही तथागत बुद्ध की पावन धरा के समस्त निवासियों को जिलाधिकारी महेंद्र
देवरिया- कसया ढाला पर अंडर पास बनना अत्यंत जरुरी है | यह तस्वीर आज सुबह की है ,जब ढाला एक घंटे के लिए बंद था | जो लोग जाम में
गोरखपुर- संस्कार भारती, गोरक्ष प्रान्त के अध्यक्ष डॉ. भारत भूषण , महानगर अध्यक्ष लोकगायक डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, पूर्व सह क्षेत्र प्रमुख वीरेंद्र गुप्त एवं प्रांतीय
बनारस-आज बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर लाल बहादुर शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय, रामनगर, वाराणसी, एवं क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई, वाराणसी, तथा क्षेत्रीय अभिलेखागार, वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में भारत के प्रमुख
कुशीनगर -तथागत भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में त्रिविध पावनी (जन्म, ज्ञान प्राप्ति बोध एवं महापरिनिर्वाण) वैशाख पूर्णिमा बुद्ध जयंती (बुद्ध पूर्णिमा) के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में जिलाधिकारी
गोरखपुर-सरस्वती शिशु मंदिर (10+2 )पक्की बाग गोरखपुर में बुद्ध पूर्णिमा के पूर्व संध्या पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानाचार्य डॉ. राजेश सिंह ने कहा कि तथागत भगवान गौतम बुद्ध
गोरखपुर-राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर (संस्कृति विभाग, उ0प्र0) द्वारा 04 मई, 2025 को शुरू हुई आजमगढ़ (निजामाबाद) की टेराकोटा कार्यशाला का 10 मई, 2025 को समापन हुआ साथ कार्यशाला में सृजित
गोरखपुर-राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर (संस्कृति विभाग, उ0प्र0) द्वारा 04 मई, 2025 को शुरू हुई आजमगढ़ (निजामाबाद) की टेराकोटा कार्यशाला का 10 मई, 2025 को समापन हुआ साथ कार्यशाला में सृजित