
अमृत का प्याला
ब्रह्म की राहों में, ऋषियों की कहानी है धरती कुछ भी नहीं, मिट जाती निशानी है धरती पर आना है, आकर फिर जाना है जाने से पहले, करतब कुछ दिखलाना
ब्रह्म की राहों में, ऋषियों की कहानी है धरती कुछ भी नहीं, मिट जाती निशानी है धरती पर आना है, आकर फिर जाना है जाने से पहले, करतब कुछ दिखलाना
भगवान से भी अधिक है स्थान गुरु का माता- पिता से अधिक है सम्मान गुरु का अंधकार से निकाल कर जो रोशनी दिया सूरज- चांद से भी अधिक है पहचान
कब से आंखे तरस रहीं हैं दर्शन तेरा हो जाए माला फूल चढ़ाने को आतुर मेरा मन हर्षाए झूला ढंका हुआ उस पर हीरे, मोती, सोने- चांदी मोर मुकुट धारण
बेदर्द जमाने की निगाहों में जिंदगी की टेढ़ी- मेढ़ी राहों में खामोश यूं ही चलते रहना है अंगारों को फूल नहीं समझना है ना किसी को जलाना है और
तुम जो आए जीवन में तेवर मेरे बदल गए जो दुनिया की भीड़ में कभी खोयी रहती, मै उससे बाहर निकल के खत लिखते हैं तुझे हां ये जमाना है
बहना आना मुझे मनाना राखी के बंधन को निभाना गाएंगे हम मिलकर गाना नहीं चलेगा कोई बहाना बहना आना मुझे मनाना तुम ना आयी मैं रो दूंगा चुप ना मैं
अरे रामा अइले ना साजन मोर नयनवा जोहे ए हरी सोरहो सिंगार से खुद के सजा के बेला चमेली के सेजिया लगा के अरे रामा रोवेला पोरे पोर, नयनवा
तिरंगा तो मेरे भारत की शान है जन- जन के दिल में सदा हिंदुस्तान है समर्पित देश को मेरा हर इक सांस है हो विश्व गुरु भारत ऐसा विश्वास है
मिल के आपुस में गाइला हम वंदे मातरम् वन्दे मातरम् सुनाला कण- कण से हरदम वंदे मातरम् वन्दे मातरम् सोना उगले वाली इ धरती ह उपजाऊ माटी नाहीं परती
कुछ और दिन रहने दे संग अपने चलने दे चलते- चलते वो वक़्त आ ही जायेगा जब हमे बिछडना होगा नई राह पर चलना होगा। यह तो सच है कि
कुछ और दिन रहने दे संग अपने चलने दे चलते- चलते वो वक़्त आ ही जायेगा जब हमे बिछडना होगा नई राह पर चलना होगा। यह तो सच है कि