जिंदगी
जिंदगी की टेढ़ी- मेढ़ी राहों में
खामोश यूं ही चलते रहना है
अंगारों को फूल नहीं समझना है
ना किसी को जलाना है
और न खुद जलना है
धरती छोड़ आसमां देखेगें
नाजुक पांवों में
चुभ जातें हैं शूल
आंखों में आकर अश्क
बताते हैं मेरी भूल
दर्द छुपाते हुए
मुस्कुराते हुए रहना है
सम्हलते हुए आगे बढ़ना है
जो जख्म जमाने से मिला है
बस उसे भरते रहना है
तभी जीवन में रौशनी है
इसी का नाम जिंदगी है
-अर्चना श्रीवास्तव
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