Tuesday 14th of October 2025 02:50:24 PM

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Category: कविता

12 Jun

मुक्तक

    जीवन की कड़ुवी घूंट पिए जा रहा हूं पैबन्द पर पैबन्द सिए जा रहा हूं घुट घुट कर मरता हूं हर रोज हर कदम फिर भी न जाने

8 Jun

मंगलाचरण जिन्दगी का

शुरू करते ही मंगलाचरण जिन्दगी का  किया दुशासन ने चीरहरण जिन्दगी का  खो गया था मै तो इंसानों की भीड़ में  पढा दिया पशुओं ने व्याकरण जिन्दगी का  सफेदी बाल

30 May

सावन सा जीवन

एक सावन की तलाश है, एक सावन का अभ्यास है।  एक सावन से संसार है, एक सावन के आने का इंतज़ार है। मैं खुद में एक तूफान बटोरे,एक सावन से

29 May

मैं माटी हूँ

माटी हूँ, मैं माटी हूँ अरसों से सावन की मैं प्यासी हूँ|   इस जेठ दुपहरी धूप में जैसे, पवन का झोंका चलता है। इन गरम हवाओं की सन सन

2 May

भूख और रोटियां

भूख से तड़पा है बच्चा माँगता कुछ रोटियाँ, एक निवाले के लिये  दर-दर से मांँगे रोटियाँ।   है नहीं कोई जहाँ में जिसको अपना कह सके, ढूंढती आँखें उसे अब

26 Mar

पापा घर में ही रहना

कब से बच्चे तरस रहे थे  सपने उनके बिखर रहे थे  पापा के संग कब खेलेंगे  पापा से कब गप्पे मारेंगे  पापा मम्मी को संग लेकर  पार्क में झूला झूलेंगे 

21 Feb

गज़ल

सच बोलने की कसम खाने से  दुश्मनी हो गई  सारे जमाने से  मै  अपनी माँ का सबक भूलूं कैसे  कि लगेगा पाप सच छुपाने से  रूठता कौन है अपनों से

14 Mar

होली आई रे

लाल रंग सूरज से ,हरा रंग सावन से  लिए बसंती रंग ,उमंग मनभावन से  आज सुनहरे रंगों की डोली आई रे  आज दीवानों की रंगीली होली आई रे  लाल गुलाल

10 Mar

पहली नज़र

उनकी एक झलक क्या दिखी बस देखता ही रहा आँखों मे तस्वीर क्या बसी बस सोचता ही रहा  नज़रे चुराना ,मुस्कुराना यूँही मिल जाना सनम मिलन की आस मे हरदम