पापा घर में ही रहना
कब से बच्चे तरस रहे थे
सपने उनके बिखर रहे थे
पापा के संग कब खेलेंगे
पापा से कब गप्पे मारेंगे
पापा मम्मी को संग लेकर
पार्क में झूला झूलेंगे
सपना देख बड़े हो गये
पापा को कब वक़्त मिला था
बिन पापा के बच्चों का
कब हसीं का फूल खिला था
अब कोरोना का डर आया
21 दिन घर में बिठलाया
सारे मिलकर खेल रहे हैं
इस आफत को झेल रहे हैं
माना अब चिज्जी नही आती
पापा जी की गोद रिझाती
पापा मत बाहर जाना तुम
जी लेंगे रुखा -सुखा खाकर
बहुत खुश है हम तुमको पाकर
21 दिन बस तुम घर में रह लो
जो कहना है सारा कह लो
फिर खुशियों के दिन लौटेंगे
हम मस्ती अपनी घोटेंगे
आप काम पर रोज फिर जाना
चिज्जी खूब खिलौने लाना
बस अब कुछ न जिद करना
21 दिन घर पर ही रहना
बच्चों वाली बात न समझो
कोरोना को आम न समझो
बहुत ही घातक दुश्मन आया
जिसने सबको घर बिठलाया
हम भूखे -प्यासे रह लेंगे
कुछ दिन यूँ ही कट जाएँ
दादी वाली बात सुना दो
थोडा सा मन को बहला दो
नही उदासी लगती अच्छी
बिन पानी कब जिन्दा मच्छी
21 दिन संग -संग बीतेंगे
फिर पापा हम ही जीतेंगे
( डॉ नरेश सागर , हापुड़ )