
शरद पूर्णिमा पर कुंवारी कन्याएं पूजती है राक्षस के पैर
जालौन:- बुंदेलखंड की कई ऐसी संस्कृतियां है जिसके बारे में बहुत से लोगों को अभी तक कुछ भी पता नहीं है। बुंदेलखंड के जालौन में शरद पूर्णिमा पर अनोखी परंपरा मनाई
जालौन:- बुंदेलखंड की कई ऐसी संस्कृतियां है जिसके बारे में बहुत से लोगों को अभी तक कुछ भी पता नहीं है। बुंदेलखंड के जालौन में शरद पूर्णिमा पर अनोखी परंपरा मनाई
महर्षि वाल्मीकि का नाम रत्नाकर था और उनका पालन जंगल में रहने वाली भील जाति में हुआ था, जिस कारण उन्होंने भीलों की परंपरा को अपनाया और आजीविका के लिए
भारत नेपाल की सोनौली सीमा से महज आधे घंटे की दूरी पर पहाड़ की चोटियों पर स्थित कामाख्या मंदिर से कंचनजंगा की बर्फीली चोटियों के साथ शीतल हवाओं के बीच
बाग बान हर दिन बागीचे में पौधे – वनस्पति को पानी देता है। लेकिन फल ऋतु पर ही आता है। जीवन का भी ऐसा है। धैर्य रखना चाहिए। समय पर
भगवान श्रीकृष्ण के नाम का अर्थ आकर्षण है इसलिए कर्षति परमहंसानाम इति कृष्णः कहा गया है। इसलिए सारी सृष्टि ही कृष्ण की ओर आकर्षित होती है। सृष्टि के सभी रूप
धम्मदिन्ना का जन्म राजगीर (राजगृह) के वैश्य कुल में हुआ था। वह सुंदर,सुशील एवं बुद्धिमान बालिका थी। जब बड़ी हुई उसका विवाह विशाख नाम के श्रेष्ठी के साथ हुआ। पति-पत्नी
अपने जीवन में हम जो देते हैं वही मिलता है, जैसी जीवन के गीत हम गाते हैं वही चारों तरफ हमें वही गीत की बरसात होती है। हम जीवन में
शील, समाधि, प्रज्ञा; शील, समाधि, प्रज्ञा- इन तीनों में धर्म की परिपूर्णता समायी हुई है। (साधक) शील का पालन करते हुए, समाधि में पुष्ट होते हुए प्रज्ञा जगाने का काम
बौद्ध धर्मावलम्बियों के लिए बुद्ध पूर्णिमा सबसे महत्वपूर्ण है |बैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का प्राकट्य हुआ था |इसलिए इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना
कुशीनगर – त्रिविध पावनी ” बैशाख पूर्णिमा के दिन तीन घटनाएँ घटी बुद्ध जी का जन्म , ज्ञान और निर्वाण | 2567 बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर 5 मई 2023
कुशीनगर – त्रिविध पावनी ” बैशाख पूर्णिमा के दिन तीन घटनाएँ घटी बुद्ध जी का जन्म , ज्ञान और निर्वाण | 2567 बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर 5 मई 2023