शास्त्र कभी पहले नहीं हो सकता, लोक संस्कृति सबसे पहले है-डॉ० विंध्याचल
बनारस -भोजपुरी अध्ययन केन्द्र, कला संकाय,काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा ‘भोजपुरी लोकगीत और चित्रकला : पाठ, गायन और चित्रकला’ अंतर-विषयक सप्तदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के पांचवे दिन गोरखपुर से आए प्रख्यात लोक गायक
