समय से पहचान और इलाज से ठीक हो जाता है मलेरिया
देवरिया- विश्व मलेरिया दिवस पर जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया । सीएमओ कार्यालय के धनवंतरि सभागार में गुरुवार को मलेरिया दिवस के अवसर पर सीएमओ डॉ राजेश झा की अध्यक्षता में कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रमों में बेहतर कार्य के लिए मलेरिया विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों और जागरूकता कार्यक्रम के लिए फाइलेरिया नेटवर्क के सदस्यों को सीएमओ डॉ राजेश झा ने मोमेंटो देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर सीएमओ डॉ राजेश झा ने कहा कि लक्षण दिखने पर शीघ्र जांच और इलाज से मलेरिया पूरी तरह से ठीक हो जाता है । जिले में वर्ष 2020 से लेकर अब तक की अवधि में करीब 2.53 लाख लोगों की मलेरिया की जांच करवायी गयी, जिनमें से नौ लोग इस बीमारी से पीड़ित मिले। सभी का इलाज किया गया और सभी ठीक भी हो गये।
उन्होंने कहा कि घर के बाहर और भीतर एकत्रित हुए पानी की साफ सफाई और मच्छरों से बचाव के उपाय में विभागीय प्रयासों के साथ साथ सामुदायिक सहयोग आवश्यक है। प्रति वर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वर्ष के दिवस की थीम रखी है-‘‘अधिक न्यायोचित विश्व के लिए मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाना।
एसीएमओ वेक्टर बार्न डीजीज कंट्रोल प्रोग्राम डॉ संजय गुप्ता ने कहा कि 2027 तक प्रदेश में भी मलेरिया का उन्मूलन करना है और इस कार्य के लिए समुदाय की भागीदारी बढ़ाने पर जोर है । लोगों को ‘‘हर रविवार, मच्छर पर वार’’ के नारे को साकार करना होगा और इस दिन घर के आसपास एकत्रित पानी को साफ करना पड़ेगा। कूलर और अन्य पात्रों के पानी की भी साफ सफाई जरूरी है। इस बीमारी का मच्छर साफ पानी में एकत्रित होता है और सुबह शाम काटता है । बारिश का मौसम शुरू होने से पहले पानी के टैंक, गमले, पशु पक्षियों के पीने के पानी के पात्र, नारियल के खोल और बोतल जैसी सामग्री में पानी को इकट्ठा होने से रोकने के लिए उपाय करने हैं या फिर निष्प्रयोज्य सामग्री को नष्ट कर देना है ।
जिला मलेरिया अधिकारी सीपी मिश्रा ने कहा कि संक्रमित मादा एनाफिलिज मच्छर के काटने से यह बीमारी होती है । मच्छर के काटने के तेरहवें से चौदहवें दिन में इसके लक्षण आते हैं। नियमित अंतराल पर तेज बुखार के साथ ठंड लगना, कमजोरी, पसीना होना, बार बार उल्टी होना, पेशाब में जलन, मूत्र का कम आना, लाल मूत्र आना और खाना खाने में असमर्थता इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। इसके रैपिड डॉयग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी) की सुविधा आशा कार्यकर्ता से लेकर उच्च चिकित्सा संस्थानों तक में उपलब्ध है । स्लाइड से जांच की व्यवस्था सभी सरकारी अस्पतालों में मौजूद है और इसकी सभी दवाएं भी वहां उपलब्ध है। कार्यशाला में फाइलेरिया नेटवर्क के सदस्यों ने भी जागरूकता कार्यक्रमों में किए गए अनुभव को साझा किया।
कार्यशाला में डीपीएम पूनम, अर्बन नोडल अधिकारी डॉ आरपी यादव, सहायक मलेरिया अधिकारी सुधाकर मणि, पाथ संस्था के प्रतिनिधि अभिषेक, फाइलेरिया नेटवर्क सदस्य पिंकी चौहान, पूनम सिंह, इंदूदेवी , उदयभान, मलेरिया विभाग के कर्मियों सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
*तीन दिन में ठीक हो जाता है जानलेवा मलेरिया*
सीएमओ डॉ झा ने बताया कि मलेरिया के दो प्रकार प्लाजमोडियम वाईबैक्स (पीबी) और प्लाजमोडियम फैल्सीफोरम (पीएफ) प्रमुख तौर पर हमारे अंचल में पाए जाते हैं। पीएफ मलेरिया का समय से इलाज न करने पर जटिलताएं अधिक बढ़ सकती हैं और इसके कई मामलों में रक्तस्राव का भी होने लगता है। अगर इसकी समय से पहचान कर इलाज हो तो महज तीन दिन की दवा से ठीक हो जाता है ।
किट से पहचान होने पर बनती है स्लाइड-
सीएमओ ने बताया है कि जब कोई आशा कार्यकर्ता किसी संभावित मरीज का किट से जांच करती है और उसमें मलेरिया की पुष्टि होती है तो लैब टेक्निशियन की मदद से स्लाइड जांच भी करायी जाती है। समय समय पर एलटी, सीएचओ और आशा का इस संबंध में संवेदीकरण भी किया जाता है ।
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