Friday 26th of April 2024 01:51:22 PM

Breaking News
  • बीजेपी में शामिल हुए यूटूबर मनीष कश्यप , बोले माँ के कहने पर लिया फैसला |
  • कन्नौज से चुनावी मैदान में उतरे अखिलेश परिवार की मौजूदगी में किया नामांकन |
  • केस अपडेट से लेकर जरुरी फैसलों तक , अब व्हाट्स एप्प पर मिलेगी सुप्रीमकोर्ट मामले की जानकारी |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 23 Mar 2023 5:46 PM |   99 views

आम के वानस्पतिक एवम पुष्पीय मालफॉर्मेशन का प्रबंधन कैसे करें?

आम का मालफॉर्मेशन (खराबी ) एक कवकजनित रोग है। मालफॉर्मेशन आम की सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं में से एक है और आम की सफल खेती के लिए एक गंभीर खतरा है।  यह विकार फूलों और वनस्पति शूटिंग में व्यापक है।मोटे तौर पर दो अलग-अलग प्रकार के लक्षण होते हैं।  आम में मुख्यत: दो तरह के मालफोर्मेशन देखने को मिलते है प्रथम वानस्पतिक विकृति(वेजिटेटिव मालफोर्मेशन) और दूसरा पुष्प विकृति(फ्लोरल मालफोर्मेशन) कहलाते  है।
 
वनस्पति मालफॉर्मेशन नए लगाए गए आम के बागों में  अधिक देखा जाता है।  इस प्रकार के लक्षण मे नवजात  छोटे-छोटे  पत्तों को एक छोटे से गुच्छे के साथ पैदा करते हैं,जो छोटी छोटी पत्तियों के झुंड के रूप में  दिखाई देते हैं।  जिससे  सामान्य विकास नहीं होता है।इस प्रकार के लक्षण आम के बड़े पेड़ों में भी देखे जाते है।
 
पुष्प  मालफॉर्मेशन (विकृति) मंजर की विकृति है।  मंजर गुच्छे मे परिवर्तित हो कर कुरूप सा दिखाई देता है।  पुष्प मालफॉर्मेशन  हल्के से लेकर मध्यम या भारी विकृति  एक ही शाखा पर भिन्न हो सकती है।  मंजर का स्वरूप सामान्य से भारी हो जाता है।गर्मी के दौरान आक्रांत  मंजर शुष्क काले द्रव्यमान के रूप में विकसित होते रहते हैं , उनमें से कुछ अगले मौसम तक बढ़ते रहते हैं।
 
इस रोग के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ
 
 तापमान और सापेक्ष आर्द्रता इस रोग के रोगज़नक़ की वृद्धि और आम के मालफोर्मेशन  के लक्षणों की अभिव्यक्ति के महत्वपूर्ण कारक हैं।  26 डिग्री सेल्सियस से 2 डिग्री सेंटीग्रेड कम या ज्यादा और सापेक्ष आर्द्रता  65% की मौसम की स्थिति रोगज़नक़ के विकास और रोग के विकास के लिए अनुकूल हैं। 10 डिग्री सेल्सियस से  कम  और 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान की अवस्था में इस रोग का रोगकारक फ्यूजरियम मंगीफेराई की  वृद्धि नहीं होती है।
 
आम के मालफॉर्मेशन का प्रबंधन कैसे करें?
 
संतुलित मात्रा में खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग पेड़ की उम्र के अनुसार करना चाहिए। रोगग्रस्त पौधों को नष्ट कर देना चाहिए।  रोग मुक्त रोपण सामग्री का उपयोग करें।जैसे ही इस रोग का लक्षण दिखाई दे तब तुरंत साफ 2ग्राम प्रति लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करना चाहिए।संक्रमित पेड़ों से निकली हुई शाखा  का इस्तेमाल नए पौधे बनाने के लिए नहीं करना चाहिए।
 
जैसे ही रोग का लक्षण प्रकट हो , शाखा के आधार से 15-20 सेमी स्वस्थ भाग के साथ प्रभावित शाखावो को काट कर हटा दिया जाना चाहिए और जला दिया जाना चाहिए। अक्टूबर के पहले सप्ताह के दौरान प्लैनोफिक्स 1मिली दवा प्रति 3लीटर पानी में घोलकर  छिड़काव  करना चाहिए एवम् यदि संभव हो तो आक्रांत कलियो को तोड़कर जला दे। जहा पर यह समस्या गंभीर हो वहा पर फूल निकालने   से पहले  कोबाल्ट सल्फेट @1मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से  पुष्प विकृति को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
 
इस रोग का प्रसार कम हो इसके लिए आवश्यक है की रोपण के लिए रोगमुक्त पौधों का चयन करें। जैसे ही इस रोग के लक्षण दिखाई दे विकृत पौधे के भागों को काट कर जला दे ।प्रभावित पौधों के हिस्सों को हटा दें और नष्ट कर दें।
 
फूल निकलने  से पहले और फलों की कटाई के बाद जिंक, बोरोन और तांबे जैसे सूक्ष्म (ट्रेस) तत्वों के साथ छिड़काव करने से कुरूपता की घटनाओं को नियंत्रित या कम करने में मदद मिलती है।
 
आवश्यकता से कुछ अधिक नाइट्रोजन की मात्रा में प्रयोग करने से पुष्पगुच्छ विकृति रोग में कमी दर्ज किया गया है। इस रोग के रोगकारक (फफूंद) को फैलने से रोकने के लिए बगीचे और औजारों  का अच्छा स्वच्छता प्रबंधन आवश्यक है।रोग के प्रसार को कम करने के लिए अपने छंटाई उपकरणों को अच्छी तरह से साफ करें।
 
-कृषि विज्ञान केंद्र , कुशीनगर 
Facebook Comments