नववर्ष
नव वर्ष का आगमन नई आशाओं ,नये सपनों, नये लक्ष्यों के साथ होता है। हमें मिल-जुल कर स्वागत करना चाहिए| नये वर्ष का प्रारम्भ एक ऐतिहासिक घटना क्रम को दर्शाता है। जनवरी के प्रथम दिन से इसका प्रारम्भ माना जाता है| इसकी शुरुआत 15 अक्टूबर सन 1582 से हुई। पहले 25 मार्च और कभी-कभी 25 दिसम्बर को नया वर्ष का उत्सव मनाया जाता था। रोम के राजा नूमा पोपिलस ने रोमन कैलेण्ड में संशोधन कर जनवरी को साल का पहला महीना माना।
भारत में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नये साल का प्रारम्भ माना जाता है। ब्रहम पुराण के अनुसार इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि को रचना की। आज पूरी दुनिया के प्रथम जनवरी से नये साल के प्रारम्भ की मान्यता मिल मिल गई है। दुनिया के सभी कार्य चाहे सरकारी हो/ गैर सरकारी सामाजिक और सांस्कृतिक इसी कैलेण्डर को मानकर किए जा रहे है। नये साल के आगमन का जश्न मनाने का जो तरीका टी० बी० ,यू.ट्यूब और सोशल मीडिया पर देखने को मिलता है उससे थोड़ा दु:ख जरूर होता है। जश्न मनाने पर मेरी आपत्ति नही है उसके तरीके से है।
1 जनवरी से ही नए साल का इतिहास लिखना शुरू कर देते है- एक उत्सव के साथ । बीते साल का मूल्यांकन करने और नये साल में आगे बढ़ने की योजना के शुरुआत का प्रथम दिन है| जनवरी माह अतीत को ध्यान में रख कर वर्तमान को सवारने का होता है। हम कहाँ जाकर रुक गये इसका
भी मूल्यांकन होना चाहिए |
वर्ष 2023 मे नई-नई चुनौतियां हमारे सामने खड़ी है| जैसे करोना B.F-7 बैरिऐन्ट अन्तराष्ट्रीय सीमा पर तनाव,महगाई, बेरोजगारी, आन्तरिक अशान्ति , आतंक, शुद्ध पीने का जल बढ़ते वायु प्रदूषण आदि । सबका सामना करते हुए देश के विकास और शान्ति का माहौल बने |चुनौतियों को अवसर में बदलकर हम विकास कर दुनिया के सामने मिसाल बने |
” उस अँधेरे पथ पर , आशाओं के दीप लिए
निकल गया अकेला मन , तोड़ समय की सीमाएं |