मधु्मक्खी पालन प्रारंभ करने का सही समय अक्टूबर माहः प्रो रवि प्रकाश
नये मधु्मक्खी पालन का व्यवसाय माह अक्टूबर से प्रारंभ करना चाहिए। इस समय मौसम मधु्मक्खी पालन के लिये अनुकूल रहता है। तोरिया (लाही) का फूल उपलब्ध रहता है , उसके बाद सरसों राई के फूलों से मधु्मक्खियों को पराग प्रचुर मात्रा मे मिलता है। जिससे शहद मिलने के साथ- साथ उनके परिवार में बढ़ोतरी होती है। उससे कई मौन बाक्सों में मधु्मक्खियों को बढ़ा सकते है। गर्मी मे कभी भी मधु्मक्खी पालन की शुरुआत नही करनी चाहिए।
प्रसार्ड ट्रस्ट मल्हनी भाटपार रानी देवरिया के निदेशक प्रो. रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि ज्यादातर मधु्मक्खी पालक फरवरी- मार्च माह मे सभी शहद निकाल लेते है। कालोनियों को बढ़ा कर मौन बाक्स को बेचते है। जिसके कारण नवसिखुवा पालकों को कठिनाई होती है। बक छूट की समस्या अधिक होती है। जो दो कारणों से होता है। पहला अचानक कम मधुस्राव या रानी द्वारा अचानक अंडा देना बन्द कर देना तथा परिवार में श्रमिकों की असंतुलित संख्या। दूसरा बॉक्स में गर्मी बढ़ जाना, वायु आवागमन का अभाव एवं मौसम का प्रभाव आदि , जिसके कारण मधुमक्खियाँ बाक्स छोड़कर भाग जाती है ।
उसके बाद बरसात में लगातार बारिश होने के कारण मधुमक्खियाँ बाहर नहीं निकल पाती है ,जिसके कारण मौनवंशो में पुष्परस एवं पराग की कमी हो जाती है। यदि पुष्प रस की कमी हो तो बराबर भाग मे चीनी और पानी मिलाकर चासनी बनाकर कटोरी में बाक्स के अन्दर रख देना चाहिए।
बाक्सों के आसपास घासों की सफाई करते रहना चाहिए । मौनगृह के मुँह को सूखी लकड़ी से आधा बंद कर देना चाहिए , जिससे मधुमक्खियों के शत्रुओं को रोका जा सके ।खाली फ्रेमो को निकाल कर सुरक्षित जगह पर रख दें ताकि बाद में उन फ्रेमों का उपयोग किया जा सके। मौन वंशो को मिठाई की दुकान से दूर रखें ताकि मधुमक्खियां जाकर मर ना जाए ।बाक्स को बीच बीच मे सल्फर से सफाई करते रहना चाहिए। जिससे कीट ए्वँ बीमारियों का प्रकोप न हो सके। माह अक्टूबर से मधु्मक्खी पालन प्रारंभ करने से काफी अनुभव हो जाता है।
अच्छा होगा कि मधुमक्खी पालन से पहले कृषि विज्ञान केन्द्र, खादी ग्रामोद्योग, उधान विभाग आदि जहाँ मधुमक्खी पालन का कार्य हो रहा हो वहा कुछ दिन जाकर सीखना चाहिए। उसके बाद मधुमक्खी पालन का कार्य करना चाहिए।