बड़ा कौन
भेड़िए ने जंगल में सबको बुलाया, पर शेर की याद ही नहीं आई।सभी एकत्रित हुए,सभा की शुरुआत हुई।सियार से स्वागत और आवा भगत की सेवाएं,लोमड़ी से आवश्यक एवं आकस्मिक सुविधाओं की अपील, चीता अपनी पूंछ से उपस्थिति दर्ज कराता,बंदर – भालू डाल से डाल उछलते कूदते, गधे आराम की मुद्रा में मस्त,आवासीय एवं रुचिकर व्यंजन की तलाश करते हुए कुत्ते आदि दिखाई पड़ने लगे।
सभा में आयोजित बहुत से गीत संगीतमय कार्यक्रम सभी का मन मोह रहे थे। जहां बंदर और बंदरिया अपने नोंक- झोंक में कभी मायके जाने की धमकी देते तो कभी मालिक के साथ विदेश जाकर खेल तमाशा करने की इच्छा जताते,वहीं भालू की मद मस्त चाल में व सुर लय ताल में ढोल बजाता गधा।कुल मिलाकर रसमय प्रसंग इस महफिल में चलता रहा।
लेकिन मुद्दा क्या है,किसलिए बुलाया गया है,कौन मुख्य अतिथि या विशिष्ट अतिथि होगा,संचालन किसके जिम्मे होगी, प्रवक्ता – वक्ता के लिए विषय ,समय सारणी ,क्रमांक व समय का संकेत आदि का न होना ,सबको हैरान कर रहा था।
कोई अपनी व्यक्तिगत समस्या,कोई पारिवारिक ,कोई सामूहिक व सामाजिक व्यवस्था में अनियमितता के तानों बानों से परेशान था तो कोई राजनीतिक समीकरणों से।
जहां बिल्ली मालिकों द्वारा दूध पीने पर प्रतिबंध वहीं गाय अपने ऊपर किए जा रहे अत्याचार जैसे पालीथीन पन्नियों में जूठा खाना खा जाने से पेट फूलने के बाद मृत्यु दर में दिनों दिन बढ़ोत्तरी का होना एवं इंजेक्शन से अधिकतम रक्तमय प्रवाहित दूध निकालना, बैलों के स्वच्छंद विचरण से नियंत्रण हटाना,गौशालाओं में गोवंश के मृत्यु के जिम्मेदार मालिकों के विरुद्ध कार्यवाही करना,बकरी में दूध का व्यापक मात्रा में सेवन को बढ़ावा, बकरों का बे रोक टोक बध के साथ आवासीय व घने जंगलों की अनवरत काटने की विनाश कालीन चिंतन दिन भर चलता रहा।
खुली बैठक में आमने -सामने की चर्चा में सबको आनंद आ रहा था कि, आवाज आई शहरी,ग्रामीण एवं जंगली तीन वर्गों में हम सभी बंट गए हैं।जिससे की समस्याएं भी अलग तरह से सिमट कर रह गई हैं। हमारे जानवर प्रतिनिधि भी वोट मांगने के समय ही हमारे सुख – दुख पूछने आते हैं। चुनाव का समय निश्चित होना चाहिए। हमें तो हर महीने में एक नया नेता की जरूरत है क्यों की अपनी समस्याओं को उन तक पहुंचाने में महीने भर लग जाते हैं।कुछ तालियां बजाते तो कहीं असंतुष्ट भी खड़े बोलने लगे कि हमें तो अपनी समस्याएं ही पहुंचाने में ही महीने पंद्रह दिन लग जाते हैं,फिर उस पर अमल कब होगा, समय थोड़ा और बढ़ना चाहिए।सहमति व असहमति के बीच प्रस्ताव पारित हुआ।
गिलहरी गुप्त सूचनाओं की लिस्ट तैयार कर रही थी। सभा समापन पूर्व एक रोचक सत्य कथा कुत्ते ने शहरी और ग्रामीण जीवन में कुत्तों की समस्या के बारे में सुनाना चाहा।मनोनीत अध्यक्ष भैंसा और उपाध्यक्ष सांड ने कुत्ते को आप बीती सुनाने की अनुमति दे दी।
भाइयों ! हमारे मित्र, रिश्तेदार भाई, बहन बड़े बड़े शहरों में रहते हैं,उनकी सुध लेने मेरे कुछ जानवर प्रतिनिधि शहर के कई गलियों में गए, जहां सर्वेक्षण करना सुलभ और सहज लग रहा था परन्तु अपने एक भी भाई को न पाकर निराशा हाथ लगी। जू से लेकर ऐसी जगहों पर गए जहां सुख – सुविधाओं एवं संरक्षण को व्यवस्था है,वहां भी नहीं मिले। घूमते घूमते अपरिचित भी परिचित से लगने लगे। तभी एक की निगाह फ्लैट की बालकनी में गई जो एकदम अजूबा लगा।गले में बेल्ट,झूले पर आसन जमाए सामने टी वी,फ्रिज में सब्जी व अन्य खाद्य पदार्थ निहारता हुआ शहरी पारदर्शिता तथा कान उठाकर सुनते हवाई जहाजों की गड़गड़ाहट ।
फिर भी साथी ने हिम्मत करके सीढ़ी से चढ़कर बालकनी के कुत्ते से आने की अनुमति मांगी।सहमति के प्रत्युत्तर में बालकनी के सामने जा पहुंचा। वहां देखने पर महसूस हुआ कि भाग्य सबका अलग अलग है।किसको क्या बनना है,क्या और कितना मिलना है,कहां तक पहुंचना है सब कुछ पूर्व निर्धारित व सुनिश्चित है। लेकिन बालकनी के पास से अपने भाई को देखने पर वास्तविकता सामने आई कि……
क्या फर्क है ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के कुत्तों के रहा सहन में,संस्कार ,बर्ताव ,बदलाव और अलगाव में दिल खोल कर बताओ भइया।
सदियों से हमारे पूर्वज स्वामिभक्ति के लिए जूठे पत्तल चाट चाट करके पृथ्वी पर अपना विश्वास एवं अस्तित्व बनाए हैं,मालिकों के लिए अपनी जान गवाए हैं,भगोड़े नहीं हंसकर गोली खाए है।जापानी नाम हविस्की, सिंकसू न होकर कल्लू मल्लू भिरू बिरू ही कहलाए हैं।फिर एक कहावत जो आदि काल से हमारे लिए बनी है,”प्यारे कुत्ते की मौत मारे जाओगे” लेकिन यहां पर अब ऐसा बिल्कुल नहीं है।
अपनी शैतानी प्रवृत्ति, कुकृत्य ,नक्सल वादिता,महिला दुराचार बलात्कार,अपहरण पर अनियंत्रित गतिविधि में लिप्त हमारे स्वामी वर्ग ही हम सब की जगह लेने की होड़ लगी हुई है,पशुता ,अमानवीयता, अनुजता में स्वार्थी निजता की असामंजस्य – वैमनस्यता और जातीयता की। अब दोनों के जीवन दर्पण में स्वयं झांका जाए तो स्थलीय दृष्टी दर्शन से क्या निर्णय और परिणाम मिलेगा। तभी धीरे से बिन बुलाए मेहमान शेर धीरे से बोला कि बताओ मित्रों दोनों में यानी कि जानवर और इंसान में बड़ा कौन है।
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