लालाजी की कुर्सी
लालाजी की थी कुर्सी,
उस कुर्सी के तीन थे पैर
एक पैर जब टूट गया,
कुर्सी का भाग फूट गया।
उसने भी नई कुर्सी ले ली,
फिर पुरानी कूड़े में डाली।
कूड़े से जब बदबू आई,
तो कुर्सी ने भी नाक दबाई
नाक दबा कर बोली फिर वह,
ये कहाँ मैं आयी?
इससे अच्छा तो मैं रहती स्टोर रूम में भाई
(आयुषी मौर्य) कक्षा-5
आयु – 11 वर्ष
माउंट लिट्रा ज़ी स्कूल, गोरखपुर
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