घर में रह नरेश
हर साल कोरोना अइले,
बड़ परेशानी बलमू
अपने गांव में चलिके फिर
से, कर किसानी बलमू
अब कबहूं नाहीं जइबइ ,
पूना ,बांबे और दिल्ली
भागि – भागि आवइ के होला,
बनिके भीगी बिल्ली
सुविधा शहर से बढ़िके,
शुद्ध मिलेला पानी बलमू
अपने गांव में चलिके फिर
से, कर किसानी बलमू
खेलइ के खातिर लड़िकन के,
सुंदर बाग- बगइचा
छोट- मोट कारखाना चलिहैं,
घर में बने गलइचा
दुःख -सुख हमनी के देखिहैं,
देवर- देवरानी बलमू
अपने गांव में चलिके फिर
से, कर किसानी बलमू
शहर के सुख सुविधा के
सपना , कब तक देखल जाई
गांव में सरकारी सुविधा अब,
मिलेला दूध – दवाई
घर के संस्कार में पलिहैं ,
बिटिया रानी बलमू
अपने गांव में चलिके फिर
से, कर किसानी बलमू
हरियाली बढ़े- प्रदूषण मुक्त,
धरती के अपने करबइ
दूध – दही के कमी न रहिहैं,
गाय भैंस हम रखबइ
तन – मन रहे निरोगी, सुख से
कटी जवानी बलमू
अपने गांव में चलिके फिर
से, कर किसानी बलमू
मास्क पहिनिके दो गज,
दूरी के मान संदेश
कोरोना भारत छोड़ि के भागे
घर में रह ” नरेश
कड़ी मेहनत से ही गांव,
बने रजधानी बलमू
अपने गांव में चलिके फिर
से, कर किसानी बलमू