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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 27 Sep 2023 6:02 PM |   683 views

भोजपुरी भाषा हाशिये पर क्यों

पिछले कुछ महीने से भोजपुरी पुनर्जागरण मंच द्वारा भोजपुरी भाषा के प्रचार -प्रसार एवं संवैधानिक मान्यता के लिए निरंतर कार्यक्रम आयोजित हो रहे है | जिसमे भोजपुरी भाषी लोग बढ़ – चढकर भाग ले रहे है | विद्वानों द्वारा भोजपुरी भाषा साहित्य पर चर्चा का क्रम जारी है | मंच द्वारा भोजपुरी भाषा में अश्लीलता , फुहड़पन आदि का विरोध हो रहा है और यह होना भी चाहिए | 

भारत में भोजपुरी भाषा के उत्थान के लिए तमाम एसोसिएशन बन चुके है | इनका काम है पाक्षिक या मासिक एक कार्यक्रम आयोजित करना ,जिसमे संस्था का मुखिया माला पहनते हुए महिमामंडित होता है | कविता पाठ होता है और फिर जलपान —-

मैंने कभी भी इन एसोसिएशन के सदस्यों को सड़क से लेकर सदन तक का आन्दोलन करते नही देखा है | देखा है तो बस एसोसिएशन बनाकर एक दूसरे से मिलते -जुलते और सिर्फ भोजपुरी की चर्चा करते|  यह लोग चिंता करते हैं एक कार्यक्रम आयोजित  करना होगा, कहा होगा , कैसे होगा , कब होगा ?और हमारी खबरों को किन मीडिया संस्थानों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है ?  इन लोगो को भोजपुरी भाषा ,संस्कृति से सरोकार कम और मनोरंजन का विषय ज्यादा होता है |

मै अपने पाठकों को बताना चाहता हूँ कि आज से लगभग एक दशक पहले मै विविध भारती के पटना केंद्र गया हुआ था | उस समय के निदेशक ने एक शो होस्ट करने के लिए मुझे आमंत्रित किया था | जब मै उनके कार्यालय पहुंचा तो एक अच्छी सभ्यता और संस्कृति का अहसास हुआ | निदेशक ने अपने producer से मेरा परिचय भोजपुरी भाषा में कराया | तो मै आश्चर्य चकित रहा लेकिन किसी से कुछ कहा नही | फिर देश काल एवं परिस्थितियों की चर्चा होने लगी और यह वार्ता निदेशक  और मेरे बीच भोजपुरी में  हो रही थी | यह सब इतना अच्छा लग रहा था कि मैं उस पल को सोचकर आज भी आनंदित हो जाता हूँ कि उस संस्थान के अधिकारी को अपनी माटी की भाषा से कितना लगाव है, और अपने क्षेत्र के लोगो से |  

भोजपुरी भाषा की अपनी एक मिठास है समृद्ध शाली संस्कृति है | कष्ट की बात है की आज़ादी से पहले और आज़ादी के बाद भोजपुर क्षेत्र के तमाम लोग इस देश के महत्वपूर्ण राजनैतिक पदों पर आसीन रहे फिर भी यह हासिये पर क्यों है ? कलाकारों का भी यही हाल है भोजपुरी भाषा की बात करके अपनी जीविका चलातें है और राष्ट्रीय फलक पर आते ही इस भाषा से दूरी बना लेते हैं |

आपको बता दे कि दो बंगाली मिलते है तो अपनी क्षेत्रीय भाषा में बात करते है पंजाबियों का ही यही हाल है | लेकिन जो लोग भोजपुरी के अस्तित्व को बचाने की बात कर रहें है वो लोग अपने दोस्तों से  , परिवार जनों से भोजपुरी भाषा में बात नही करते हैं | उनका मानना है कि यह गवई भाषा है | सभी लोग अंग्रेजी और हिंदी भाषा को प्राथमिकता देतें है | क्योकि इन भाषाओँ को वो लोग अपने  मान -सम्मान से जोड़कर देखते हैं | यही तक नही ऐसी स्थिति है कि अपने बच्चो को अंग्रेजी स्कूल में पढाने के लिए लालायित रहते है | हिंदी और अंग्रेजी भाषा से जीविका चलने का एक माध्यम है लेकिन आप जिस क्षेत्र , समाज और संस्कृति से आते हैं वो आपकी अपनी पहचान है |इसे आप संभाले नही तो आपका अस्तित्व खतरे में होगा |  

यहाँ मै अपने पाठकों को एक उदाहरण के माध्यम से समझाना चाहता हूँ कि आप कल्पना कीजिये आप कहीं यात्रा में है सामने सीट पर कोई व्यक्ति बैठा है आपको बातो ही बातों मै पता चलता है कि वह आपके गृह जनपद का है तो उससे लगाव आपका बढ़ जाता है | फिर आप उससे अपनी क्षेत्रीय भाषा में बात करते हैं तो और अपनापन लगता है फिर आपको पता चले कि वो आपके पास के गाँव का रहने वाला है | फिर तो और आत्मीय लगाव हो जाता है और वह व्यक्ति आपके लिए घर का व्यक्ति लगने लगता है क्या आप जानते हैं कि वह अनजान व्यक्ति आपका प्रियजन क्यों हुआ – जी मै बताता हूँ आपकी भाषा के कारण | क्योकि मातृभाषा में जोड़ने की कला है |

भोजपुरी भाषा की समृधि के लिए सबसे  पहले आप सभी को इसे व्यवहारिक रूप में लाना होगा | एक – दूसरे से जोड़ने की कला है भोजपुरी भाषा में, अपनापन है | अपने बच्चों , रिश्तेदारों से आपको इस भाषा में बात करना चाहिए | राजनैतिक लोगो को इस भाषा में सदन में बोलना चाहिए | पूर्व सांसद स्वर्गीय राम नरेश कुशवाहा ने मुझसे एक साक्षात्कार में कहा था की मैं सदन में भोजपुरी में बोलता था | भोजपुर  क्षेत्र के विधायको , सांसदों को सदन में भोजपुरी भाषा को आठवी अनुसूची में शामिल करने के लिए आवाज सडक से लेकर सदन तक उठाना होगा | लेकिन सबसे पहले हर भोजपुरी भाषी को खुद में परिवर्तन करना होगा – सबको भोजपुरी भाषा में बोलना होगा , कहना होगा , सुनना होगा — तभी यह भाषा और अधिक अपनी मधुरता बिखेरेगी |

  • राकेश मौर्य 

 

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