संपूर्ण जगत के पालनहार हैं श्री राम- अमर सिंह
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श्री राम के जीवन चरित्र से हमें जीवन जीने की, परिवार व राज्य चलाने की सीख मिलती है। इनके द्वारा बताए हुए मार्ग पर चलने से व्यक्ति को कभी दुखों का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने जीवन भर धर्म सम्मत आचरण किया। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम हमेशा लोभ, भय, क्रोध, मोह, से दूर रहे।
उन्होंने रामायण के प्रसंग सुनाते हुए भैया- बहनो को बताया कि रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियाँ थीं| लेकिन बहुत समय तक कोई भी राजा दशरथ को सन्तान का सुख नहीं दे पायी थीं| जिससे राजा दशरथ बहुत परेशान रहते थे। पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ को ऋषि वशिष्ठ ने पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराने को विचार दिया। इसके पश्चात् राजा दशरथ ने, महर्षि ऋष्यश्रृंग से यज्ञ कराया। तत्पश्चात यज्ञकुण्ड से अग्निदेव अपने हाथों में खीर की कटोरी लेकर बाहर निकले।
यज्ञ समाप्ति के बाद महर्षि ऋष्यश्रृंग ने दशरथ की तीनों पत्नियों को एक-एक कटोरी खीर खाने को दी। खीर खाने के कुछ महीनों बाद ही तीनों रानियाँ गर्भवती हो गयीं। ठीक 9 महीनों बाद राजा दशरथ की सबसे बड़ी रानी कौशल्या ने श्रीराम को जो भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने जुड़वा बच्चों लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया।
इस अवसर पर विद्यालय की छात्राओं के द्वारा भजन प्रस्तुत किया गया | तत्पश्चात आरती व प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन आचार्य निर्मल यादव ने किया।
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