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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 28 Feb 2024 5:43 PM |   388 views

रविन्द्र लाल श्रीवास्तव की पुस्तक -‘अपनी बात’ का डॉ. गिरीश चंद्र श्रीवास्तव द्वारा लोकार्पण किया गया

दिल्ली -रविन्द्र लाल श्रीवास्तव की  आत्मकथात्मक  संस्मरणों पर आधारित पुस्तक ‘अपनी बात’  का लोकार्पण दिल्ली के जनकपुरी में किया गया। अवसर था – पुस्तक- लेखक  रविन्द्र लाल श्रीवास्तव की पत्नी ऊषा श्रीवास्तव की चौथी पुण्यतिथि।   रविन्द्र  लाल श्रीवास्तव दिल्ली सरकार के महत्त्वपूर्ण  अधिकारी रह चुके हैं। उन्होंने जो अपना आत्मकथात्मक संस्मरण  लिखना आरंभ किया था , उसे  ‘गौरवशाली भारत’ दैनिक समाचार-पत्र, ‘गौरवशाली भारत’  मासिक पत्रिका , ‘विराट वैभव’ दैनिक समाचार पत्र  तथा ‘समाचार विन्दु’  भोजपुरी समाचार-पत्र ने प्रकाशित किये थे। 
 
पुस्तक का लोकार्पण लेखक , पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी , विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय , मेरठ के पूर्व कुलाधिपति  तथा  मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली सरकार  के पूर्व उपाध्यक्ष  डॉ. गिरीश चंद्र श्रीवास्तव ने किया।
 

लोकार्पण करते हुए डॉ.  गिरीश चंद्र श्रीवास्तव ने इस पुस्तक को लेखक के  अपने जीवन की सच्ची कथा बताया।  उन्होंने कहा कि यह पुस्तक लेखक के दृष्टिकोण को उपस्थित करती है। लेखक  रविन्द्र लाल श्रीवास्तव ने इस पुस्तक को अपने लेखकीय प्रयासों का सुफल बताया। उन्होंने कहा कि  इस पुस्तक के लेखन में ईमानदारी बरती गयी है। इसमें एक-एक घटना का सम्वेदनशील वर्णन है। यह एक संघर्ष गाथा है। इस अवसर पर  साहित्यकार , परिवारी एवं संबंधी जन उपस्थित थे।  

 
यहां  महत्त्वपूर्ण   उपस्थित  महानुभाव थे —  अशोक  श्रीवास्तव ,  माला श्रीवास्तव ,  डी. एन. श्रीवास्तव,  नम्रता श्रीवास्तव, पुस्तक-लेखक की पुत्री निधि चन्द्रा ,   जामाता निशीथ चन्द्रा आदि।
 
पुस्तक-लेखक की पुत्री  निधि चन्द्रा ने कहा – ‘अपनी बात’ के प्रकाशन पर  मेरे  पिता बधाई के पात्र हैं। अपने  जीवन के अद्भुत अनुभवों  व प्रिय मम्मी के स्मरण की यह रचना हमारे लिये सदा प्रेणास्रोत रहेगी। आपके संघर्ष व उपलब्धियां हमें गौरवान्वित करती हैं।’
 
पुस्तक पर प्रतिष्ठित लेखक  एवं प्रशासक , नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय ( संस्कृति मंत्रालय , भारत सरकार ), नालंदा के हिन्दी विभाग के प्रोफ़ेसर व पूर्व अध्यक्ष , मैथिली-भोजपुरी अकादमी , दिल्ली सरकार एवं हिन्दी अकादमी , दिल्ली  के पूर्व सचिव प्रोफ़ेसर रवींद्र नाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास’  की  जो सम्मति- शुभासंसा प्रकाशित हुई  है , वह इस प्रकार है –  ” रवींद्र लाल श्रीवास्तव की आत्मकथात्मक गद्यात्मक कृति –
 
‘अपनी बात’ में ‘साहित्यिक तत्त्व’ उपस्थित  हैं। इसमें  ज़िला मऊ ( उत्तर प्रदेश) स्थित अपने गाँव – अलाउद्दीनपुर  ( जो  लोक  में अलउदीपुर के रूप  में  जाना  जाता  है ) की स्मृतियाँ लेखक द्वारा स्मृतिपूर्वक रोचक ढंग  से  उकेरी गयी हैं।  साथ ही, इसमें परिवार , आत्मीय जन , आजीविका, संघर्ष, प्रसन्नता आदि का  संकुल है।
 
गैर-काल्पनिक होने के बावजूद, आत्मकथात्मक – संस्मरणात्मक  रूप में इस  कृति  में उसी तरह के साहित्यिक तत्त्व   हैं जैसे  किसी भी काल्पनिक कृति में मिलते हैं। लेखक में अपने वातावरण को अभिव्यक्त करने और एक सम्मोहक कथानक रचने  की क्षमता  दर्शित  होती है। इस  संस्मरणात्मक आत्मकथा को आत्मीय संवाद की तरह  पढ़ा जाना चाहिए।
 
स्पष्टवादिता  की आवाजें इस कृति में हैं  जिनमें कई तो अत्यंत व्यक्तिगत हैं, जो लेखक के जीवन की सफलताओं  और  असफताओं को उजागर करती हैं।  अपने लेखन को बहुत विस्तार  न  देकर  लेखक ने यथारूप मितभाषिकता  बरती है तथा कथ्य में मौलिकता व प्योरिटी लाने का यत्न किया है।
 
फलत: यह  ईमानदार कृति सुपठनीय  बन  गयी है।  आशा है, इस गद्य कृति का साहित्य में स्वागत  होगा  तथा यह यथा मान की अधिकारिणी होगी।’
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